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लुटिया भर दूध - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

लुटिया भर दूध

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*लुटिया भर दूध*

यशोदा पूजा का पिटारा व दूध की लुटिया ले मंदिर जाते हुए बोली, "बिट्टू बेटा, तुम्हारा केसर बादाम का दूध ग्लास में रखा है, याद से पी लेना।" जैसे ही मम्मा बाहर निकली बिट्टू रोटी को चूर दूध में डालता है।
फ़िर सीधा दादी के कमरे में जा कहता है, " दादी उठो जल्दी से, दूध रोटी खालो। आपको मुँह में छाले हो रहे हैं न। देखो फ़िर मम्मा आ जाएगी।"
दादी दुलारती है, "बेटू तू रोज़ अपना दूध मुझे दे देता है। तेरी मम्मा,,,।" बिट्टू बात काटता है,"दादी आप अभी दाल सब्जी नहीं खा सकती हैं न, इसलिए। ये मम्मा रोज़ शिव भगवान को तो लुटिया भर दूध चढ़ाती है। पर आपको क्यों नहीं देती? "
बिट्टू के लिए यह रोज़ का काम हो गया है। मम्मा एक दिन बारिश के कारण आधे रास्ते से लौट आती है। बिट्टू को ऐसा करते देख डाँटती है, " बिट्टू, तुम्हें दूध की ज़रूरत है, तुम्हें पढ़ाई कर अपना भविष्य बनाना है। पूजा पाठ से मुझे अपना अगला जन्म सुधारना है।"
बिट्टू भोलेपन से पूछता है, "और दादी का क्या ?"
यशोदा कहती है, " दादी ने अपनी ज़िंदगी जी ली। अब उन्हें भगवान के घर ही तो जाना है। " मासूम बिट्टू कहता है, " मम्मा दादी भी तो भगवान जी जैसी ही है न। फ़िर उन्हें,,,,।"
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..!

दादी की परी
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