कहानीबाल कहानी
#शीर्षकः
" मिनी का संसार"
मुम्बई निवासिनी मिनी को अपनी दादी के गांव छोड़ शहर आए हुए तीन-चार वर्ष हो गए हैं। लेकिन अभी भी वहाँ की सुनहरी यादें हैं कि, दिल से निकलती ही नहीं?।
वो आठ कमरों वाला चारो तरफ हरे-भरे वृक्ष से आच्छादित प्यारा घर।
बड़े पेड़ हर समय ठंडी हवा के झोंके देते थे। खुले -खुले बाग-बगीचे। मिनी बिल्कुल अपनी दादी पर गयी है। वैसा ही ऊँचा कद,चमकता चेहरा उसे देखने पर उसकी दादी की झलक ही आ जाती है।
अब मिनी नौ साल की हो गयी है। पूरी "मिड-वे" कॉलोनी में उसकी धाक पढ़ाई- लिखाई को ले कर है। साथ ही वो नाच-गाने में भी उतनी ही होशियार है।
स्वभाव से अपनी दादी की तरह ही बेहद मीठी मिनी की ढ़ेरो सहेलियां बन गई हैं।
जिनमें एक पिंकी सबसे अच्छी और पक्की वाली सहेली है।
मिनी को आज भी जब दादी की याद आती है तो वह उदास हो जाती है। उसकी सारी सखियां पूछ बैठती हैं उसकी उदासी के कारण?
तब मिनी अपनी गोल-गोल आंखें नचाती एक से एक मजेदार किस्से उन्हें सुनाया करती है।
इस बार गणेशोत्सव पर मिनी और उसकी सहेलियों ने उसकी दादी के घर जाने का मन बना लिया है। लेकिन अब पापा-ममा को भी तो मनाना होगा इसके लिए। जिसे सबने मिल कर चुटकियों में हल कर लिया।
शनिवार की सुबह सब मिल कर कोल्हापुर के लिए निकल पड़े हैं।
दादी कितनी खुश होगी यह सोच मिनी मगन है।
दो घंटे में वे पंहुच गईं दादी के गांव पर वाले घर।
सबके मन मयूर खुशी से नाच रहे हैं। खुला-खुला वातावरण चारो ओर हरियाली बागीचे के ठीक बीच में बड़े से तालाब में कमल के फूल देख बच्चे हैरान हैं पिंकी बोल उठी ,
"वाओ कितने प्यारे हैं मिनी इसे तो मैंने पहले देखा ही नहीं था"।
तभी वहाँ एक मोर अपने रंगीन पंख फैलाए हुए चलता हुआ आ अपने नृत्य से उनके मन मोहने लगा। लड़कियाँ हक्की-बक्की हो कर खुश हो रही हैं।
साथ ही उससे दूर हटकर मिनी के साथ उसकी सारी सहेलियां भी भावविभोर हो नाचने लगीं।
अद्भुत नयनाभिराम दृश्य प्रस्तुत हो गया है। दरवाजे पर खड़ी दादी मुग्ध भाव से इन नन्हीं-नन्ही बाल गोपाल को कैमरे में कैद करने में लगी हैं।
भावविह्वल हो मिनी दादी को भी खींच लाई तथा उन्हें बीच में खड़ी कर चारो तरफ गोल-गोल नाचने लगी। सबके चेहरे खुशी से दमक रहे हैं। जब वे थक गई तो दादी के बनाए गर्म समोसे और जलेबियाँ छक कर खाई।
पुनः सबों को गाड़ी से आस-पास के दृश्य अवलोकन के लिए निकलना था।
उन्होंने बागीचे के अमरूद , केले तोड़ कर अपने-अपने ममा-पापा के लिए भी रख लिए और खुशी में हो कर मगन साईट सीईंग के लिए चल दिए।
स्वरचित /सीमा वर्मा