कहानीबाल कहानी
बाल कहानी
#शीर्षक
" नन्ही मिनी की दुनिया"
"मिनी ओ... मिनी"
पुकारती हुयी उसकी प्यारी बुबु ने मिनी को गोद में उठा उसके आंसुओं से भरे भोले मुखड़े पर चुम्बनों की झरी लगा दी मिनी ने भी जो अब डौगियों को देख कर बहुत खुश है। बुबु के गले को दोनों हांथो से बांध लिया किस्सी देने लगी थी ।
तभी दादी ने कहा ,
" अब उतर भी मिनी क्या सारी किस्सी बुबु ही को दे देगी ?"।
दादा जी से बोल तेरे लिए डौगी मंगवाई है मैंने ।कुछ मेरे लिए भी बचा कर रख मेरी लाडो "।
यह सुन दादा जी जोरों से हंस पड़े और मिनी ने शर्मा कर बुबु की गोद से उतर दादी की साड़ी थाम ली है।
तभी डब्बे से कूं-कूं की आवाज सुन हर किसी का ध्यान उधर चला गया।
मिनी उछल कर दादी की गोद में चढ़ गई और बुबु नीचे बैठ कर डब्बा खोलने लगी ।
डब्बे में बन्द दोनों डौगी के भूरे -सफेद मुलायम से बाल ...
"ओह् कितने प्यारे हैं मिनी आ उतर गोद से , देख तो जरा छू कर"।
मुस्कुरा कर 'नहीं ' में गरदन हिला मिनी ने सर पीछे घुमा लिया और आंखें मूंद लीं दरअसल उसे थोड़ा-थोड़ा डर मिश्रित झिझक सी महसूस हो रही है।
"लेकिन बोले कैसे सारे हंस नहीं देगें ?"
यह समझ बुबु ने ही डौगी हांथ में ले मिनी की नन्हीं उंगलियों से स्पर्श करा दिया ।
"ओ वाओ ये कैसी मुलायम सी छुअन है ?"
मिनी ने आंखें खोल डौगियों को देखा और दादी की गोद से उतर सीढ़ियों पर बैठ हिम्मत बटोर उन्हें गोद में ले लिया।
हूँ..... कितने नर्म-नर्म मुलायम लग रहे हैं मिनी की आंखें चमक रही हैं कभी उनके कान , कभी छोटी सी पूंछ तो कभी पांव को छू कर देख रही है ।
ओहो ये तो मम्मा भी आ गई और खुश भी दिख रही हैं ।
मिनी अब मन से खुशी-खुशी पापा मम्मा के साथ मुम्बई जाना स्वीकार कर ली है । अब दो नन्हें- नन्हें फ्रेंड जो मिल गए हैं।
स्वरचित / सीमा वर्मा