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" नाऊ वी आर फ्रेंड " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" नाऊ वी आर फ्रेंड " 💐💐

  • 300
  • 14 Min Read

#शीर्षकः
" नाऊ वी आर फ्रेंड "
दिनांक २३ अप्रैल
" ये दोस्ती हम नहीं..." के सुरीले गीत वाली रिंग टोन घनघना कर बज रही है।
" उफ्फ क्या कंरू ? एक तो बढ़ती उम्र उस पर से कोरोना काल में ईश्वर की दोहरी मार अब तो झट से उठा भी नहीं जाता"।
बड़बड़ाती हुई निर्मला ने फोन हाँथ में ले लिया।
ये तो 'मोना' उनकी सहेली का नंब डिस्प्ले हो रहा है। जिसे कोरोना के क्रूर हांथों ने उनसे छीन लिया है,
"हैलो कौन ? कौन बोल रहा है ?" घबरा कर पूछी।
"मैं राधिका आपकी मोना की नातिन "
सुबुक, सुबुक ...दादी , नमस्ते अब तुम मेरे घर आना क्यों छोड़ दी दादी?
निर्मला जी चुप राधिका की मर्मस्पर्शी आवाज सुन कर उनका गला भर गया है।
" मेरी दादी चली गईं तो आप भी मुझे भूल गई , मैं कितनी अकेली हो गई "
बोल कर चुप्प हो गई राधिका नन्ही सी बच्ची नौ साल की उनकी दोस्त मोना की नातिन है।
जिसके ममा -पापा दोनो वर्किंग हैं।अपने बिजी शेड्यूल में उनके पास समय ही नहीं बचता है। बेटी के साथ खेलने का तो वो बराबर मोना और निर्मला के साथ लगी रहती थी। निर्मला को वो छोटी दादी कहा करती।
वे तीनों एक साथ मिल कर पार्क में घंटों खुशहाल समय बिताया करतीं।

पर कोरोना से मोना की मौत के साथ ही वो भी तो कितनी अकेली और हताश हो गई है। उसका जी एकदम से उचाट हो गया है। थोड़ी देर चुप रही निर्मला,
" छोटी दादी तुम सुन रही हो ना?
"हाँ-हाँ मेरी राधिका रानी तुम बोलती जाओ मैं सुनती जा रही हूँ "।
" दादी क्या मेरी पक्की वाली फ्रेंड बनोगी?"
अंधे को क्या चाहिए दो आँख।
निर्मला की आँख से आंसुओं की अविरल धार बह रही है। इतना तो शायद वह सहेली मोना के जाने पर नहीं रोई थी। बहुत मुश्किल से गला साफ करके बोली,
" हाँ मेरी बच्ची , मैं भी तो कितनी अकेली हो गई हूँ राधिका।तुम्हारी ही तरह। आज से और इसी वक्त से हम-तुम सच्चे वाले और फौर एवर वाले फ्रेंड"।
आखिर वे भी तो बेटे-बहू दोनों ही के वर्किंग होने की वजह से कितनी अकेली और चुपचाप रहती है।
हर समय विचित्र सन्नाटे से घिरी हुई। आखिर टीवी और फोन भी कितना देखें ? दिल हर वक्त घबराया हुआ सा रहता है।
कोई तो दोस्त मिला। उन्होंने दोनों हाँथ जोड़ ऊपरवाले का धन्यवाद किया। वो कहते भी तो हैं,
" ना उम्र की सीमा हो, ना जनम का हो बंधन"।
यकीन जाने मित्रों इसी को चरितार्थ करती है उन दोनों की मित्रता।
ये वाकया दिल्ली का है। मोना मेरी और निर्मला की कौमन फ्रेंड थी।
अभी पिछले दिनों मेरी बात फोन पर जब निर्मला से हुई तो वो बच्चों जैसे चहक कर बोली,
"जानती है, अब मोना की नातिन राधिका मेरी नयी फ्रेंड है , हम दोनों फोन पर भी बातें करते हैं , और पार्क में भी घंटो पहले की तरह एक साथ समय बिताते हैं "।
"मैं भी खुश , राधिका और मोना की बहू रश्मि भी खुश।"
" वो किस तरह खुश? मैं उत्सुकता से पूछ बैठी।
" उधर से खुर-खुर हंसने की आवाज,
" वो इस तरह कि उसकी सयानी होती बच्ची सुरक्षित हांथों में रहने से खुद रश्मि भी तो निश्चित हो कर घूम-फिर पाती है, बोल है ना मजेदार बात "।
" हम्म्म... सो तो है हाहाहाहा" कह मैं भी हँस पड़ी।
हँसती भी क्यों नहीं?आखिर कितने दिनों के उपरांत निर्मला की हँसी जो सुन रही थी। 💐💐

सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

आनंद आ गया

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

आनंद आ गया

Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Marmik

दादी की परी
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