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" पकौड़े " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" पकौड़े " 💐💐

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  • 11 Min Read

#शीर्षक
" पकौड़े " 💐💐
जेठ में जब सारे ताल- तलैए सूख गये। तेज धूप से सभी परेशान हैं। यह समय वह होता है जब गांवों में बरसात की प्रतीक्षा में नये जाले बुने जाते हैं। शहरों में पंखे की घर्र-घर्र और एयर कंडीशनर की आवाज फैलती है।
लोग-बाग सब टीवी पर खबरें सुन मॉनसून के आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
गजब की उमस वाली गर्मी है। मिताली कमरे में बिस्तरे पर लेटी अपने गांव वाले घर की याद कर हर्षित हो रही है। कैसे ऐसे मौसम में वे सब बहनें मिल कर आंगन में गीत गाती थीं,
"अल्ला मेघ दे ,मेघ दे ,पानी दे ...रवानी दे... और घनघोर बारिश में सारे मिल पकौड़े के मजे उठातीं। अम्मा कहती थी,
"पहले से ही बना कर खा लो सगुन होता है।ईश्वर खूब घटा भेजेंगे"।
उसनें घड़ी देखी अभी दोपहर के तीन बज रहे हैं। सोमेश को ऑफिस से आने में बहुत देर है। वह उठी और प्याज छील कर उसके छोटे-छोटे टुकड़े काटने लगी।
तभी काले-काले मेघ उमड़-घुमड़ कर आसमान में छा गये। मिताली अपने बॉलकनी में बैठी यह मस्त नजारे निहारने लगी। देखते ही देखते मूसलाधार बारिश भी शुरु हो गई।
काली घटा इतनी नीचे झुक गई, कि मिताली को लगा अगर वो हाँथ बढ़ाएगी तो पकड़ में आ जाएगी। सावन के महीने में बरसात इसी तरह होती है।
मिताली अपने दोनों हाँथ बॉलकनी से निकाल बारिश की बूंदों से खेलने लगी।
कुछ देर इसी तरह खेलते हुए फिर किचन में आ गई। एक बार मन हुआ कि गैस जलाए।
तभी आसमान पर जोर से बिजली चमकी ,और साथ ही फ्लैट की बत्ती भी गुम हो गई। वह निकल कर फिर बॉलकनी में आ गई।
उसे गली के कोने पर एक रिक्शावाला रिक्शे पर बैठा दिखाई दिया।
बेतरह हो रही बारिश में वह बुरी तरह भींग और काँप रहा है।
उसने टीवी पर सुन रखा है आजकल बिजलियां बहुत गिर रही हैं। यह सोच वह अंदर तक कांप गई। दया भाव से प्रेरित मिताली ने यकायक जोर से आवाज लगाई,
" भैय्या ओ रिक्शेवाले भैय्या जी इधर आ जाओ कम्पाउंड में शेड में भैय्या "।रिक्शेवाले ने कृतज्ञ भाव से उसे देखा और गेट खोल कर रिक्शे सहित अंदर आ गया।
अब मिताली को भी पकौड़े तलने की वजह मिल गई उसने झटपट गैस जला ढ़ेर सारे पकौड़े तल डाले और कागज के ठोंगे मे भर थैले में लगी रस्सी के सहारे नीचे रिक्शेवाले को पंहुचा दिया।
"खा लो भैय्या गर्म-गर्म हैं। मैं भी खा रही हूँ "
मिताली खुश है। बहनें ना सही आज भाई-बहन ने मिल कर खाए हैं पकौड़े।

स्वरचित ,अप्रकाशित
सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

वाओ गर्म पकौड़े 👌👌

सीमा वर्मा2 years ago

जी धन्यवाद

Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Wah

दादी की परी
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