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" क्या अब भी वो खुशबू " 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कवितागीत

" क्या अब भी वो खुशबू " 💐💐

  • 216
  • 2 Min Read

#शीर्षक
" वे बारिश वाले दिन"
मैं अलबेली
नार नवेली
सोच रही हूँ।
एक पहेली ,
अब भी क्या
मेरे गांव वाले
सावन की रुत
में बहती पुरवाई
ले चंपा मोतिया
की खुशबू ? और
नदी पोखरे के
किनारे जमी
कुकुरमुत्ते की
तरह हरी-हरी
कचूट काई जिसके
किनारे बैठी छोरियां
देखती थीं, सपने
अपने आने वाले
कल की। माँ बताओ
ना सच में?क्या अब
भी है खुशबू वैसी
ही सोंधी-सोंधी सी?

स्वरचित /सीमा वर्मा

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बहुत सुंदर 👌

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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