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कवितानज़्मअतुकांत कवितागजलअन्य
“बेवक्त बेवजह अब न किसी दोस्त का कॉल आता हैं, व्यस्त ज़िंदगी, जिम्मेदारी में सबका साथ छूट जाता हैं, यूं तो रहते है सब एक ही गांव-शहर-राज्य में सदा, लेकिन फिर भी अब कभी-कभार ही उनसे मिलना हो पाता हैं।” 🥀🍁 #HarshWord 🥀🍁 #happyfriendshipday2021