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" बरसता सावन-मचलता मन "💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

" बरसता सावन-मचलता मन "💐💐

  • 247
  • 5 Min Read

लघुकथा #शीर्षक
" बरसता सावन-मचलता मन"
एक लड़का और एक लड़की पूर्व परिचित हैं शायद?
दोनों साथ-साथ रास्ते से गुजर रहे। लड़के के हाँथ में बड़ी सी छतरी।
सावन का महीना, पूर्व दिशा से घनघोर बादल घिरने लगे, पहले तो मंद फिर तीव्र गति से हवा बहने लगी।
पहाड़ी रास्ता, चारो तरफ हरे-पीले पत्तों वाले लम्बे देवदार जैसे पेड़ जिन्होंने मिल कर अनोखे रंगों से शमा बांध दिया।
इसी समय बादलों के एक बड़े से टुकड़े ने सूर्य की आती रोशनी को थाम लिया।

मोटी-मोटी बूंदें गिरने लगीं। लड़के ने हाँथ में पकड़ी छतरी खोल ली और इशारे से लड़की को आ जाने को कहा।
लड़की झिझकी ,शरमाई, सकुचाई फिर हौले से मुस्कुराई।
ठंडा मौसम- गर्म माहौल, मस्त नजारे- मचलता मन , बादल की गड़-गड़ - थिरकता तन।
फिर कोई कैसे करे इंकार?।
तालमेल बिठाते हुए दोनों हृदय ने बीच के अंतराल को पाट दिया।

फिर कोई अर्धविराम नहीं। लड़की ने दूरियों को पाटते हुए लड़के की छतरी में आ उसे पूर्णविराम दे दिया।
ऐसा विराम जिसमें कोई लगाम नहीं।

स्वरचित / सीमा वर्मा

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Ahaha

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

ahahaha

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

Sumi Shweta

Sumi Shweta 3 years ago

Wah.. Bahut khoob👏👏

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

अहा हा कितनी प्यारी

दादी की परी
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