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"यादों के संग"" - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

"यादों के संग""

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# शीर्षक
"यादों के संग "
आज आठ महीने हो रहे हैं सुधीर को गये हुए ।
दिन एक पर एक कट ही रहे हैं । उसका खाना -पीना , पूजा - पाठ सारे काम काज अपने ढ़र्रे पर आ गए हैं ।
आज करवा चौथ है। बस कभी सोचा ना था यूं सुधीर के बिना करवचौथ भी आएगी और ...। हेमा का मन उदास है।
सारे मुहल्ले में साफ - सफाई हो रही , फूलों की सजावट से सब महका हुआ है ।
बूंदी से बने लड्डुओं की खुशबू फैल रही है।
मालती घर के आँगन की चादँनी में बैठी हुई अपने पैर के झाँझरो को देख रही है। पुराने वक्त को याद कर रही है।
सुधीर स्वभाव से कितने मीठे और नरम थे ।
विवाह के बाद की पहली करवाचौथ ,
" औरत तो घर की लक्ष्मी होती है , तुम कहो तो मैं भी तेरे पाँव छू लूं"
उनके हाँथ में दो पतले - पतले झाँझर थे जिसे झुक कर सुधीर ने मालती के पैरों में पहना दिए । और उसे आलिंगन में ले उसके लम्बे घने काले बालों को सहलाते हुए कहा था ,
" देखो तुम इतने सारे सगुन करती हो मेरे लिए पर मेरे जाने के बाद भी कभी इन झाँझरो को मत उतारना । इनके भार से ही सदा मेरे करीब होने का अहसास तुम्हें होगा रहेगा ... "
तब मालती ने घबरा कर उसके मुंह पर हाँथ रख कर बन्द कर दिया था । उसे क्या पता था एक दिन ऐसा भी आएगा ।उसके दिल में भी सुधीर के लिए आज भी उतना ही प्यार है ।
अजीब सी घबराहट और अकेलापन उसके मन में पसर रहा है । ऐसा लग रहा वह अभी- अभी ब्याह कर आई है और सुधीर के अदृश्य हाँथ उसके सर पर हैं ।
सुधीर के साथ बीता एक-एक पल चलचित्र के समान नजर के सामने घूम गया।
फिर कुछ सोच कर वह उठी, आरती की थाली सजाई और मन्दिर की ओर चल पड़ी ...।
सीमा वर्मा 💐💐

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Wah dil Chu gyi

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

oh bahut khub

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

प्यारी रचना

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

दादी की परी
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