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मेरे घर आई एक नन्ही परी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मेरे घर आई एक नन्ही परी

  • 277
  • 4 Min Read

*मेरे घर आई एक नन्ही
परी*

*चाँद के चमचमाते रथ पे सवार
नभ में शहनाइयाँ हैं गूंज रही
बारात भी तारों की उमड़ आई है
मेरे घर आई एक नन्ही परी
* फूल खुश हैं, कलियाँ भी मुस्काई हैं
हो रही आज तो उनकी कुड़माई है
सेहरा बांधे ये भ्रमर गीत गुनगुना हैं रहे
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*सौलह शृंगार में तितलियाँ भी आई हैं
आज बैठी अचरज में यूँ ही पत्तों पर
जुगनुओं की ये जमात क्यूँ आई है?
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*पापा ले आए हैं खिलौने ढेरों
झूला चाँदी का हो, दादू की हसरत
दादी माँ नाचे हैं लोरियाँ गाकर
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*बुआ की प्यारी सखी आई है
चाचू के काँधे कुलमुलाए हैं
सपने ममा तेरी ने जो सजाए थे
मेरे घर आई एक नन्ही परी
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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