कविताअतुकांत कविता
*मेरे घर आई एक नन्ही
परी*
*चाँद के चमचमाते रथ पे सवार
नभ में शहनाइयाँ हैं गूंज रही
बारात भी तारों की उमड़ आई है
मेरे घर आई एक नन्ही परी
* फूल खुश हैं, कलियाँ भी मुस्काई हैं
हो रही आज तो उनकी कुड़माई है
सेहरा बांधे ये भ्रमर गीत गुनगुना हैं रहे
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*सौलह शृंगार में तितलियाँ भी आई हैं
आज बैठी अचरज में यूँ ही पत्तों पर
जुगनुओं की ये जमात क्यूँ आई है?
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*पापा ले आए हैं खिलौने ढेरों
झूला चाँदी का हो, दादू की हसरत
दादी माँ नाचे हैं लोरियाँ गाकर
मेरे घर आई एक नन्ही परी
*बुआ की प्यारी सखी आई है
चाचू के काँधे कुलमुलाए हैं
सपने ममा तेरी ने जो सजाए थे
मेरे घर आई एक नन्ही परी
सरला मेहता