Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
बदलते मौसम - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बदलते मौसम

  • 275
  • 5 Min Read

*बदलते मौसम*

*बारी बारी से ये आते
सारे नियम निभाते हैं
आचरण से ही रहना है
ये सबको सीख दे जाते
गलतियाँ जो करोगे तुम
भोगना तुमको ही होगा
ये सारे बदलते मौसम
प्रकृति के साथ चलते हैं
*झंझावात है आता
तरु सब काँपने लगते
हरित पल्लव सिहर जाते
भय से रुग्ण हो जाते
जो आया है उसे जाना
झरकर उपदेश दे जाते
ये सारे बदलते मौसम
प्रकृति के साथ चलते हैं
*प्रस्फुटित नवकोपलें देखो
स्वागत नवसृजन का है
हलधर खेत में झूमे
नदियाँ मल्हार हैं गाती
सावनी बूंदे बरसकर के
खुशियाँ धरा पर लाती
ये सारे बदलते मौसम
प्रकृति के साथ चलते हैं
*बसंत जब मुस्कुराता है
सुहाने सफ़र सा अहसास
माँ शारदे हो पुलकित
वीणा तान झंकृत हो
होता आल्हाद है चहुँ ओर
नई उम्मीदें जगती है
ये सारे बदलते मौसम
प्रकृति के साथ चलते हैं
*बहारें ठिठुरन बढ़ाती हैं
नए सपनें सजाती हैं
धान अनाज पकते हैं
फल तरकारियाँ किलके
मौज है भरपेट खाने की
दीप भी जगमगाते हैं
ये सारे बदलते मौसम
प्रकृति के साथ चलते हैं
सरला मेहता
इंदौर

logo.jpeg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg