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इंद्रधनुष - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

इंद्रधनुष

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इन्द्रधनुष

उतरा है नभ में इंद्रधनुष
सतरंगी संसार लुभाता
हर्षित हलधर धरा प्रफुल्लित
वन उपवन मौज मनाए
*लाल रंग प्रेम का प्यारा
हरीतिमा, हरा है बिखराए
नभ की ये असमानी आभा
सागर में झलक दिखाए
पीला, सद्भाव स्वरूप सा
मानो बसंत भी शरमाए
केसरिया की बात न पूछो
वन्देमातरम की धुन गाए
बैंगनी सी कलुषता त्यागो
धवल रंग निर्मल निश्छल
विश्व शांति बंधुता बरसाए
ये इंद्रधनुष सबके मन भाए
सरला मेहता

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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