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कुंडलिया छंद - Dr. Rajendra Singh Rahi (Sahitya Arpan)

कविताछंद

कुंडलिया छंद

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कुंडलिया छंद.....

भाई- भाई में रहे, बना सदा विश्वास।
स्वामी कोई हो नहीं, और न कोई दास।।
और न कोई दास, नहीं हो अपनी-अपना।
पूर्ण करें हर लोग, सभी का देखा सपना।।
हीन नहीं मन भाव, बंद गर कहीं कमाई।
बना रहे विश्वास, सदा मन भाई-भाई।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'

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