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कविताछंद
कुंडलिया छंद..... भाई- भाई में रहे, बना सदा विश्वास। स्वामी कोई हो नहीं, और न कोई दास।। और न कोई दास, नहीं हो अपनी-अपना। पूर्ण करें हर लोग, सभी का देखा सपना।। हीन नहीं मन भाव, बंद गर कहीं कमाई। बना रहे विश्वास, सदा मन भाई-भाई।। डाॅ. राजेन्द्र सिंह 'राही'