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इंसानियत - Champa Yadav (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

इंसानियत

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#इंसानियत

एक मासूम बच्चा ममता के लिए कब से तरस रहा है ,पर ममता तो अपनी ममता भरी संसार को छोड़कर कब आंख मूंद ली किसी को पता नहीं........!

आखिर कर क्या रही थी इंसानियत जब एक मां तड़प रही थी। कहां गए वह राजनेता जो आते थे ,झोली फैलाए कभी उस मजबूर मां के घर वोट मांगने के लिए अपनी राजगद्दी पाने के लिए और कर जाते हैं, कई झूठे वादे जो पूरी करते-करते दिन बीत जाते है पर वह दिन कभी नहीं आता। जो एक मजबूर मां को जीने के लिए पेट भर रोटी दे सके ,जीने के लिए जिंदगी दे सके......!

यह और कोई मां नहीं वही जीती जागती मां थी जिसने अपने उंगलियों से वोट डाला था। कभी यह सोच कर कि शायद! कोई राजनेता में इतनी इंसानियत जाग जाए कि वह मजबूर मां के बारे में उसके जीने के लिए उसका हक दिला सके........ !

आखिर कब तक एक मजबूर मां हमेशा के लिए गहरी नींद सोती रहेगी, और एक मासूम गहरी नींद से ममता को जगाता रहेगा ।कौन उस मासूम को समझाएगा कि उसकी मां अब उसे ममता भरी छांव देने के लिए नहीं रही। पर फर्क किसे पड़ता है राजनेता के पास तो बहुत-से ऐसे मजबूर मां फिर से मिल जाएंगे, जो फिर से उसे उसकी राजगद्दी दिलाने के लिए नंगे पांव चल के आंखों में उम्मीद भरे आ जाएंगे ,उसकी झोली भरने ।आखिर एक मजबूर ममता उसका क्या बिगाड़ सकती है .......!

बिगाड़ने का हक तो उन सत्ताधारी राजनेता को है ,जो दुनिया को खुशियां बांटने का झूठा वादा करते हैं और खुद के घर को रोशन करते हैं उन्हें तो यह भी नहीं पता होता है कि उन्होंने अपने घर को रोशन करने के लिए कई घरों को अंधेरे में रखा है.....!

यह बहुत ही दुखदाई सच्ची घटना है जिसे देखने के बाद इंसानियत से भरोसा उठ जाता है कि इंसानियत जैसी कोई चीज होती भी है क्या?......इस संसार मे....!!

@champa यादव
26/08/20

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