कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" सरनेम "
कितना अच्छा लगता है ना जब आप अपने चाहने वाले को शतप्रतिशत पा लें ....।
हिमांशी काशीवाल के साथ आज ऐसा ही कुछ हुआ है। वह एक मल्टीनेशनल कम्पनी में उच्च पद पर आसीन है और गणेश अय्यर उसके पति पेशे से डेंटिस्ट ।
उन दोनों की मुलाकात कौलेज में हुयी थी । समान साहित्यिक रुचि रखने वाले वे दोनों धीरे - धीरे एक दूसरे के करीब आए हैं।
यद्यपि कि दोनों अलग - अलग भाषाई क्षेत्र से हैं। लेकिन कभी एक दूसरे के बीच किसी प्रकार की बंदिशें नहीं खड़ी की हैं ।
गणेश ने हिमांशी के प्रोफेशन और पर्सनैलिटी को सदैव ही बहुत महत्व दिया है ।
और यह समझते हुए कि उनकी जिन्दगी में हमेशा एक जैसी मौज - मस्ती वाली नहीं रहने वाली है । दोनों ने एक दूसरे को अपनाया है।
आज शाम हिमांशी की कम्पनी की पार्टी में जब बौस ने गणेश को सवालिया नजरों से देखा ।
तब गणेश ने ही खुद आगे बढ़ कर अपना परिचय देते हुए कहा, " मैं गणेश काशीवाल अय्यर हूं " ।
हिमांशी को उसका यह अदांज बेहद पसंद आया , क्योंकि उसने आमतौर पर पत्नी को ही पति का सरनेम जोड़ते देखा था ।
पर यहां तो गणेश ने उसके नाम से अपना नाम जोड़ लिया है। और वे सौ प्रतिशत एक दूसरे के हो गए थे ।
सीमा वर्मा