कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"प्रवासी "
मेट्रो सिटी के वसुंधरा अपार्टमेंट की सोसायटी के दफ्तर में बैठे हुए मिस्टर सिन्हा चिंता मग्न हैं ।
वे अपनी सोसायटी के लिए चौकीदार के विज्ञापन के जवाब में आने वाले आवेदन पत्रों को देख कर परेशान हैं ।
उन्होंने तो शिक्षा की न्यूनतम सीमा छठी कक्षा पास रखी है जबकि अधिकतर प्रत्याशियों की योग्यता ग्रैजुएट से उपर है।
सबसे कम डिग्री वाले उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता भी मैट्रिक पास की है ।
अब वे पशोपेश में डूबे हुये ये सोच रहे हैं कि आखिर छोटे शहरों में ऐसा क्या नहीं है ? जिसकी चाहत इन्हें अपने घर -परिवार से दूर वहां से भी बदतर हालत मे जीने को विवश करती है ।
फिर भी ये संतुष्ट रहते हैं।
साक्षात्कार देने आने वालों की लम्बी कतार और मुरझाए चेहरे तमाम तरह के प्रश्न चिन्ह खड़े कर रही है ?
महज महानगरीय जीवन की चाह तो नहीं ?
जिसकी खातिर ये लोग अपना घर द्वार छोड़ कर चलें तो आते हैं पर यहाँ इनकी औकात ही कितनी रहती है ।
सीमा वर्मा ©®