कविताअतुकांत कविता
दवा देनेवाले ने दर्द और बढ़ा दिया
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किसे क्या कहूँ
यहाँ हर कोई बीमार है |
उपचार की तलाश में
खटखटाते रहते द्वार हैं |
न जाने किस दर पर
नब्ज देखनेवाला मिल जाए |
इश्तहार देखकर
जहाँ गए
वहाँ दवा तो नहीं मिली
पर मर्ज और बढ़ गया |
जो दर्द मिटाने का दावा कर रहे थे
उन्होंने दर्द और बढ़ा दिया |
कृष्ण तवक्या सिंह
24.06.2021