कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" पूनम की रात "
मीठी सुहानी पूनम की रात
मेरी इतनी गुजारिश है
आज तुम मत जाना मत ...
खामोशियां इतनी है कि उनके
आने की पदचाप साफ सुन रही।
आगे गुम होती गली
साजन के पैरों की आहट
और मेरा धड़कता दिँल ।
सांसो की नाजुक आवाज
मैने पलकों की कोर पर
लिखा है तेरा नाम ।
जिसे पढ़े जाने से पहले
भूल गई अपनी भाषा फिर
तुम्हारी भाषा में लिखी मैंने ।
एक सुन्दर प्रेम कविता
और प्रेम से दग्ध हुए हृदय
में रख लिया ।
शायद तपते देह की तपिश
कुछ कम होगी ऐ पूनम की
सुहानी मीठी रात ...
सीमा वर्मा
स्वरचित ...