Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
धरती का आवरण - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

लेखआलेख

धरती का आवरण

  • 287
  • 8 Min Read

*धरती का आवरण
हमारा पर्यावरण*

सुंदर साड़ी पहनकर नारी के सौंदर्य में चार चाँद लग जाते हैं। वैसे ही हरित आवरण धरती की शोभा बढ़ा देता है। धूसर मटमैली साड़ी से वैधव्य झलकता है। धरा का यह आवरण है पर्यावरण। और पर्यावरण निर्मित होता है प्रकृति के पाँच तत्वों के सामंजस्य से। जल वायु ताप माटी का सही सन्तुलन हो तो धरती माँ की धानी चूनर का ताना बाना बुना जा सकता है।
भरतीय सनातनी परम्परा वृक्षों की हिमायती रही है। हमारे त्यौहार उत्सव पेड़ों की सुरक्षा पर ही आधारित है। पीपल तुलसी बरगद पर पूजा के साथ नियमित जल चढ़ाया जाता है। वट सावित्री व्रत दशामाता सोमवती अमावस्या आदि अवसरों पर वृक्षों की पूजा की जाती है। प्राचीन ग्रंथों में भी वृक्ष पूजा का उल्लेख है।
हाल ही स्वर्ग सिधारे बहुगुणा जी का जीवन वृक्षों की सेवा में समर्पित था।
अब न मिट्टी की गलियां हैं और न ही कच्चे आँगन। गाँव भी बन गए हैं कांक्रीट के नगर। सब पक्का,,,सड़कों के आसपास व घरों के चारो तऱफ पाषाण व सीमेंटेड मैदान। विकास निर्माण व उद्योग के नाम पर अंधाधुंध पेड़ काटे जा रहे हैं। परिंदों के नीड़ उजड़ रहे हैं। जंगल वीरान हो मरुथल में बदल रहे हैं।
सरकार इस दिशा में प्रयासरत है लेकिन जनता का सहयोग भी अपेक्षित है। आज ही म प्र के मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि मकान बिल्डिंग के निर्माण की अनुमति वृक्ष रोपने की शर्त पर ही दी जाएगी।
क्यों न हम भी कुछ करें।
घर में आए फलों के बीज संग्रह कर यात्रा आदि के दौरान साइड में बिखराते जाएँ। उपहार के लिए पौधों का उपयोग करें। जन्मदिवस या अन्य खुशी के अवसरों पर पौधारोपण करें।
सरला मेहता

logo.jpeg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

उचित परामर्श

समीक्षा
logo.jpeg