Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मुकाबला 💐💐 - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

मुकाबला 💐💐

  • 104
  • 15 Min Read

# शीर्षक
" मुकाबला "
सांवली-सलोनी और घनेरी जुल्फों वाली चांदनी ने जब से देखना शुरू किया है ।तभी से कदाचित सोचना भी प्रारंभ किया है ।
इस वक्त वह हौस्टल की सीढियों पर बैठी अपनी दोनों हथेलियों में चेहरे को छुपाये अन्तर्द्वन्द से उबरने की पुरजोर कोशिश कर रही है।
उसे घर और मम्मी की बहुत याद आ रही है गहरी काली आंखों में मोटे आंसू बस निकलने को तैयार बचपन से ही उसने किसी पुरुष को अपने घर में स्थाई रूप से नहीं देखा है।
पुरूष के नाम पर बस एक गुरु जी , बचपन में जिनकी पीठ पर वो सवारी किया करती थी।
धुंधली सी तस्वीर जब बहुत छोटी थी , वह भी अब वक्त के साथ ही धूमिल हो कर पूरी तरह मिट गई है ।
हाँ घर के दरवाजे पर दिन ढ़ले कभी -कभार मंहगी गाड़ी जरूर लगती थी।
लेकिन तब उसे कमरे से बाहर निकलने की सख्त मनाही रहती ।वह रौशन जो ममा की सहायिका की बेटी थी। के साथ ही खेलती -कूदती थक कर सो जाती ।
देर रात दबे पांव कब ममा आ कर उसके लिहाफ में घुस जातीं ।उसे पता भी नहीं चलता । सुबह नींद खुलने पर ममा उसे छाती से चिपका लेतीं और चांदनी इत्मीनान से उनके गले को अपनी बांहो में बांध लेती ...।
बेबी चांदनी की आंखों में रहस्य के काले घेरे उभरने के पहले ही ममा ने उन्हीं गाड़ी वाले अंकल की सिफारिश से उसका दाखिला शहर से दूर बने इस बोर्डिंग स्कूल में करवा दिया था । जिसके दूर -दूर तक कोई घनी आबादी नहीं थी ।
वह छुट्टियों में भी घर नहीं जा कर यंही रहती है।
जबकि बाकी की सभी लड़कियां घर चली जातीं ।
चांदनी की छुट्टियां हौस्टल में ही मदर लिसेरिया और बाकी की सिस्टर्स के साथ कटती है ।
ममा ही आ जाती हैं चांदनी से मिलने ।
जब कभी वे अकेले आती उससे मिलने तो काफी खुश रहती हैं , वे दोनों खूब घूमती-फिरती और मस्ती करती हैं ।
चांदनी जानती है मम्मा गायिका हैं । अभी भी कभी -कभी भावातिरेक में उसे छाती से लगा आँखें मूंद कर गाती हैं ।
ओ मेरे मजार पे फूल चढ़ाने वाले
इक झलक दिखला जाता तो तेरा
क्या जाता...
तब तो साथ ही जैसे सावन - भादो की झरी सी लग जाती है ।
हां कभी-कभी जब उनके साथ वो नेता नुमा मिश्रा अंकल रहते हैं तो वे काफी असहज रहती हैं।
इस दौरान कभी भूल से भी मीडिया वाले दिख जाते तो मम्मा मुझे लेकर किनारा कट लेतीं हैं।
यों तो मुझे हर जगह अधिक तर सवालिया निगाह द्वारा ही जांचा -परखा जाता है।
यही सब सोचती चांदनी कंही दूर खो गई थी कि।
तभी कंधे पर प्यार से पड़ी थपथपाहट से उसकी तन्द्रा टूटी ,
क्या बात है चांदनी क्या सोंच रही है ।
ओ...नहीं ... कुछ भी तो नहीं ,
एक राईमा ही तो है उसकी सच्ची दोस्त या कहें खैरख्वाह ।
" हूँ क्यों झूठ बोलने की कोशिश करती है जब बोल नहीं पाती " ।
चन्द पल यूँ ही गुजर गए ।
चांदनी को अपनी जिन्दगी का आईना साफ दिख रहा है ।
आज तो हद ही हो गई
स्कूल के वार्षिकी जलसे के अवसर पर आयोजित अन्तराक्षरी प्रतियोगिता में उसकी मीठी, सुरीली आवाज की बिना पर उसे प्रथम घोषित करने पर जब
सामने ग्रुप से दबी आवाज आई , " ओहो गायिका की बेटी है जीतना तो बनता है ही "
उसकी गहरी काली आंखों में मोटे-मोटे आंसू छल-छला गए ।
बिना ट्राफी लिए ही उठ कर यहाँ चली आई ,
उस समय से बैठी हुई यही सोच रही है , फिर कुछ ढृढ़ निश्चय कर आत्मविश्वास से भर उठी ।
बस अब और नहीं सारी शर्मिंदगी तज डट कर मुकाबला करेगी इन परेशान करते हुये सवालों का ।
वैसी जिन्दगी का मजा ही क्या जिसने कभी -कोई चोट ना खाई हो ?
क्या हुआ जो अगर उसकी मम्मी को उसके जैविक पिता का नाम नहीं मालूम ?

स्वरचित / सीमावर्मा
पटना

FB_IMG_1623503214416_1623504761.jpg
user-image
Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Gud

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

ओह प्रभावित करती है 👌👌

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG