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एक दूजे के लिए - रूचिका राय सिवान91 बिहार (Sahitya Arpan)

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एक दूजे के लिए

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बात तकरीबन 10 वर्ष पहले की है जब मैं शारिरिक रूप से काफी अस्वस्थ थी।घर में मैं,मेरी बहन मॉं और पापा।
भाई पढाई के सिलसिले में हैदराबाद रहता था।मेरी बहन परछाई की तरह मेरे साथ रहती थी,मेरी हर परेशानी का हल थी वह।
परंतु लड़कियों को तो शादी की जिम्मेदारी निभानी होती है तो मेरी बहन की भी शादी हो गयी,और घर में बच गयी मैं।
माँ पापा एक शिक्षक होने के कारण सारा दिन घर से बाहर और मैं अकेली जान घर में।
मम्मी के स्कूल में एक लड़की दिखने में सीधी सरल अक्सर माँ के इर्द गिर्द घूमती रहती थी,पता करने पर पता चला कि वह बहुत ही गरीब घर की है और उसका सपना एक सरकारी नौकरी है।हमें भी जरूरत थी कोई मेरे साथ रहे,उसके घर वालों से बात हुई और वह मेरे घर आने लगी।मेरे साथ रहती थोड़ी मेरी सहायता कर देती और फिर पढाई में लग जाती।मैं भी उसे रोज पढ़ा देती।10वीं तक तो यह आसानी से हो गया,पर समस्याएं 10 वीं के बाद शुरू हुई ,उसके घर वाले उसकी पढ़ाई पर खर्च न करके उसकी शादी कर देना चाहते थे।बहुत ही समझाने अनुनय के बाद वो शादी न करने को तो मान गए पर पढ़ाने को बिल्कुल तैयार नही हुए।फिर मैंने उसका इंटरमीडिएट में दाखिला कराया,अपने घर के कामों ,मेरी सहायता तथा सिलाई कढ़ाई बुनाई के साथ वो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुई।फिर सिलसिला चल निकला उसने स्नातक किया,साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करती रही।
स्नातक द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद उसके घर वालों ने उसकी शादी कर दी।
वह नौकरी तो न कर पाई परन्तु आज वह अपने आस पास के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है साथ ही साथ ब्यूटी पार्लर चलाकर खुद पर निर्भर हो गयी है।
मुझे दुख तो होता है कि मैं उसके लिए ज्यादा न कर पाई।
पर वह बड़े गर्व से कहती है दीदी कोई बात नही,अब हम भी उन बच्चों को पढा देते हैं जिनके घर वाले उसे पढा नही पाते और अपने पार्लर होने के कारण मैं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हूँ।

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर और सकारात्मक रचना

समीक्षा
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