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"भ्रम" - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

"भ्रम"

  • 186
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#शीर्षक
"भ्रम"
"देखिए ब्रजेश बाबू ऐसा है कि आप मुझे बस सात लाख कैश और एक स्विफ्ट डिजाएर दे दें ,
फिर आप जब चाहे जहाँ कहें हम बारात ले कर पंहुच जाएगें"।
ब्रजेशजी चुपचाप सुन लिए।
"ओह...क्या कह रहे हैं आप ...? बारातियों का स्वागत कम से कम फोर स्टार में होना चाहिए" ?।
ब्रजेश जी की आंखें चौड़ी हो गईं...।
तभी बिटवा,
"ममा कम्प्लेक्शन के बारे में पता तो कर लिया है अच्छे से"।
ब्रजेशजी हाँथ जोड़ कर,
"माफ करेंगे! भ्रम वश आ गया ,
सरस्वती,अन्नपूर्णा स्वरूपा है मेरी बेटी, लक्ष्मी वह स्वंय अर्जित कर लेगी"।

स्वरचित /सीमा वर्मा

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

So gud

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

ahaha anand a gya

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

सार्थक लेखन

सीमा वर्मा3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद

दादी की परी
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