कविताअतुकांत कविता
बिना पूछे सबकुछ बता देते हैं
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कवि मौन है |
किताबों में ही गौण है |
अब कौन पूछता है
तुम कौन हो ?
सब खुद ही जान लेते हैं
किताबों में जो लिखा है |
उसे ही मान लेते हैं |
सवाल सामने आने से पहले
जबाब बता देते हैं |
बिना संख्या बताए
जोड़ घटा लेते हैं |
अजीब है यहाँ के लोग
बिना आपसे पूछे
आपके बारे में सबकुछ बता देते हैं |
बिना सुने, सबकुछ सुना देते हैं |
कृष्ण तवक्या सिंह
19.06.2021