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अक्श की सफेद धुंध - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिक

अक्श की सफेद धुंध

  • 250
  • 10 Min Read

#शीर्षक
" अक्श की सफेद धुंध "
हौस्टल के पीछे की तरफ बनी घुमावदार सीढ़ी पर बैठी सपना उदास और विह्वल हो अपने दोनो घुटनों में सिर छिपा रखा है।
बड़े दिन की छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं। उसकी सारी सहेलियां बेहद खुश हो कर घर जाने की तैयारी कर रही हैं ।
यों तो उसे लेने भी डैडी आ रहे हैं पर वह बुझी-बुझी सी है।
तभी उसकी सबसे प्रिय सहेली पिंकी
ढ़ूढ़ती हुई करीब आ कर अपनी बांह उसकी बांह में फंसा कर पूछी,
"क्या बात है तुम खुश नहीं दीख रही तुम्हारा मन घर जाने को नहीं कर रहा" ?
सपना ने नहीं में में सर हिला दिया
"पर क्यों "?
पिंकी के सवालों के क्या जवाब दे सपना यह सोच बोली,
"तुम नहीं समझोगी"
"मगर क्यों ? भला क्यों नहीं समझूंगी तुम बताओ तो सही?"
"कुछ नहीं ,कुछ भी तो नहीं है बताने को"
"क्यूँ झूठ बोल रही हो जब छिपा नहीं पाती"
चेहरे के भाव पढ़ कर पिंकी ने कहा।
"अच्छा तो फिर सुनो"।
कुछ के सिर्फ़ मम्मा होती हैं और कुछ के डैड और किसी-किसी के दोनो ही नहीं होते फिर भी कितने आराम से वे सब रह लेते हैं।
पर मेरे तो डैड और ममा हो कर भी नहीं है। किस्मत अपनी-अपनी।
वह कुछ पहले का समय था। जब मैं बहुत छोटी सी थी।
ममा और डैड दोनो कितने खुश रहते , सारे टाइम कुछ ना कुछ बोलते रहते एक दूसरे से दबी-घुटी आवाज में। ममा हमेशा गुनगुनाया करतीं। डैड माली के होते हुए भी खुद बागीचे की देखरेख करते।
और मैं तितली जैसी उड़ती फिरती।
फिर बाद में जाने क्या हुआ?।
उनके बीच कोई बातचीत ही नहीं होती।
शायद बची ही नहीं थी।
दोनो अलग-अलग कमरे में बंद रहते। जैसे खुद को एक दूसरे पर उझेल कर जिंदगी भर के लिए बेपरवाह हो गए।

मैं उन्हीं के द्वारा निर्मित दो खास और अलग-अलग शख्सियत के बीच एक बेतरतीब जिंदगी जीती हुई टेढ़ी-मेढ़ी खिंची गई लकीर की तरह खिंचती चली गयी।
डैड ने उस शहर को छोड़ने की नीयत से अपना तबादला कंही और करवा लिया पर ममा नहीं गई उनके साथ।
तब डैड ने मुझे इस बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया।
अब तुम ही बताओ समय के कुचक्र में फंस कर मैं बड़ी तो हो गई पर मन वंही टिक गया है क्यूँ कि
"डैड अब मिस्टर बंसल और मम्मा मंजू बंसल बन गई हैं"।
"उनके अहम् के सामने मेरा वजूद नगण्य है मेरी दोस्त "?

स्वरचित / सीमा वर्मा

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Roohi Shrivastava

Roohi Shrivastava 3 years ago

Swagata hai

Shekhar Verma

Shekhar Verma 3 years ago

wah talak shuda ghet ke bachcho ki sachchyee kahti kahani

सीमा वर्मा3 years ago

हार्दिक धन्यवाद सर

Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

मार्मिक अभिव्यक्ति

सीमा वर्मा3 years ago

हार्दिक धन्यवाद सर

दादी की परी
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