कविताछंद
नमन---साहित्य अर्पण एक पहल
विषय--------------------------नानी
तिथि--------------25/08/2020
वार------------------------मंगलवार
विधा----------------------कुंडलियाँ
#नानी
नानी अपनी देख कर,उन्हें लिया मैं थाम।
शीश झुकाया सामने,उनसे किया प्रणाम।।
उनसे किया प्रणाम,गोद में बदन छिपाया।
पाया उनका प्यार,मिठाई तुरत खिलाया।।
साथ रही नमकीन,पिलाया मुझको पानी।
देती खुद आशीष,कहानी कहती नानी।।
अपने कर से रोज ही,मैं खाता पकवान।
नानी अपने हाथ से,प्रतिदिन दें मिष्ठान।।
प्रतिदिन दें मिष्ठान,बिस्तर पर सुलाती हैं।
आती गहरी नींद,रोज सुबह उठाती हैं।।
नानी रहती साथ , रात में आते सपने।
मिलता ढेरों प्यार,सभी ही लगते अपने।।
अरविन्द सिंह "वत्स"
प्रतापगढ़
उत्तर प्रदेश