कविताअतुकांत कविता
बरखा बरसी पर
कलश खाली
तन हरा पर
मन सूखा और वैरागी
जिस्म गीला पर
आत्मा पर
एक अंजाना सा
बोझ
बहुत भारी
दरवाजा बंद
घर का आंगन सूना
मेरी घर की देहरी को
सबका इंतजार पर
मुझ अभागिन से
किसी को नहीं प्यार
मेरे पांव के नीचे की
मिट्टी
मेरे आंसुओं की जलधारा से
भर गई
मेरे चरित्र की किसी देवी सी
पवित्रता
तुम्हारी वासना भरी निगाहों की भेंट चढ़ गई।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001