कवितालयबद्ध कविता
तेरे मेरे सपने
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मिलन की मधुरिम बेला में
खिलेगा जब वो चाँद गगन ।
कम्पित अधरों की भाषा को
समझेंगे चुपचाप नयन ।
सपनों के कुछ दीप लिये
हम एक-दूजे में होंगे मग्न ।
तुम मेरी आंखें पढ़ लेना
मैं पढ़ लुंगी तुम्हारा मन
तेरे सपने सच करती मैं
सजा दूँ सारा घर- आँगन।
मेरे सपनों को पंख सजा तुम
मुझे साथ दिखाना मुक्त गगन।
©️पल्लवी रानी❤
मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
कल्याण, महाराष्ट्र