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कच्चे रास्ते (भाग ४) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते (भाग ४) साप्ताहिक धारावाहिक

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काव्या का अपने भूतकाल के बारें में जानने की उत्सुकता देखकर शालिनी थोड़ी चिंता में थी कि कहीं उसके भूतकाल की बातों की कड़ी उसके वर्तमान को भी काव्या के सामने खोलकर न रख दे । यही सोचकर वो इस बात को यहीं पर खत्म करने के लिए थोड़े से शब्दों में बोली, “उसके बाद वो मुझे छोड़कर चला गया और फिर कभी वापस नहीं आया ।”
शालिनी की बात सुनकर काव्या ने एक ठण्डी आह भरी और फिर उसने आगे पूछा, “वो कहाँ गए ये जानने की कोशिश नहीं की आपने ? वो ना सही पर आप तो उनसे प्यार करती थी ना ?”

काव्या की बात सुनकर शालिनी के चेहरे पर एक फीकी सी हंसी आ गई और वो बोली, “क्या करती जानकर ? औरत के पेट में जब बच्चा पल रहा होता है तो वो बच्चा ही उसके लिए सबकुछ होता है । मेरे लिए तू ही सबकुछ थी ।”

शालिनी की बात सुनकर काव्या को लगा कि अभी कुछ देर पहले उसने जो कुछ देखा था और जो महक मनीष अंकल के मिलने पर बाहर और फिर वही महक बैड रूम में आने पर महसूस की, वो सब झूठ था । उसने शालिनी का हाथ अपने हाथ में लेकर जोर से दबा दिया और बोली, “लव यू मम्मा ।”

काव्या के हाथ का स्पर्श पाकर शालिनी प्यार से उसके गाल पर अपना हाथ फेरकर कहने लगी, “तुझे लगता होगा कि मैं तुझे लेकर बहुत ज्यादा चिंता करती हूँ पर मुझे अक्सर ये डर बना रहता है कि जो कुछ मेरे साथ हुआ वो तेरे साथ न हो । इसीलिए तुझे अनय से मिलने पर टोकती रहती हूँ ।”

शालिनी के मुँह से अनय का जिक्र निकलते ही काव्या के चेहरे पर प्यारी सीमुस्कान छा गई । उसके गाल गुलाबी हो उठे । शालिनी की बात का उसने जवाब दिया, “मम्मी, अनय ऐसा लड़का नहीं है । बहुत समझदार है वो । आप उससे एक बार मिलोगी तो अपनी बेटी की पसंद पर गर्व करोगी ।”

काव्या की बात सुन शालिनी थोड़ी सी परेशान हो उठी । उसने एक बार फिर से काव्या के गाल पर हाथ फेरा और बोली, “मैं भी तेरे पापा के बारें में ऐसा ही कहती थी पर सच्चाई कुछ और ही निकली । जिसके लिए मैंने अपने पेरेंट्स को छोड़ा फिर वो ही अपनी इच्छा पूरी होने पर मुझे छोड़कर भाग गया । इसलिए तेरे बारें में सोचकर डरती हूँ ।”

शालिनी की बात सुनकर काव्या बिस्तर पर उठकर बैठ गई । उसने झुककर शालिनी के हाथ को चूम लिया और फिर बोली, “मेरा विश्वास करो मम्मी । अनय सचमुच ही बहुत अच्छा लड़का है ।”

काव्या की बात सुनकर शालिनी हँस दी और बोली, “चल अब ये बातें करना बंद कर. मुझे नींद आ रही है ।”

काव्या ने वापस बिस्तर पर लेटते हुए कहा, “एक और बात पूछनी है आपसे ।”

शालिनी काव्या के सवालों से अब परेशान हो रही थी । चिढ़ते हुए उसने पूछा, “अब और क्या बाकी रह गया है ?”

काव्या एक सेकेण्ड की देरी किए बिना बोली, “मैं ग्यारवी में थी तब राजीव मामा से पहली बार मेरा परिचय हुआ था । इससे पहले मामा कहाँ थे ?”

शालिनी एक बार फिर से काव्या का सवाल सुनकर परेशान हो गई । कुछ देर वो चुप रही और फिर धीरे से बोली, “तेरे पापा के साथ चले जाने के बाद से ही मेरा नाता मम्मी पापा और राजीव से टूट गया था । तेरे नाना की शहर में बहुत इज्जत थी । मेरे जाने के बाद उन्होंने मेरे बारें में जानने की कोशिश नहीं की और मैं भी वापस जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी । सालों बाद राजीव का तबादला इस शहर में हुआ और वो अपने परिवार को लेकर यहाँ आ गया. तब अचानक ही एक दिन सेन्ट्रल मॉल में खरीदारी करते हुए वो मुझे मिल गया था । उसने भी लव मैरिज की है इसीलिए बहुत बाद में वो मेरी भावनाओं को समझ पाया । सालों तक टूटा हुआ रिश्ता बहुत बाद में जुड़ पाया । तेरे नाना नानी तो है नहीं अब, मेरे बाद जो कुछ है वो तेरे मामा ही है ।”

अपनी मम्मी का भूतकाल जानकर काव्या दुखी हो गई । वो अब भी कुछ जानना चाहती थी लेकिन फिर कुछ सोचकर थोड़ी देर चुप ही रही । तभी न जाने क्यों अचानक ही उसे अनय की कही बात फिर से याद आ गई ...“तुम्हारे पेरेंट्स भी इस आग में जले है ।”... वो एक बार फिर से मनीष अंकल और मम्मी के बारें में सोचने लगी । सोचते सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला ।

जब वो नींद से जागी तो दोपहर के बारह बज रहे थे । उसे बिस्तर छोड़कर खड़े होने की इच्छा नहीं हो रही थी लेकिन उसे भूख भी सता रही थी । तभी शालिनी बैड रूम में आई और उसे जागते देख बोली, “अच्छा हुआ तू उठ गई । मैं मनीष जी के साथ सुन्दरपुरी स्लम एरिया की तरफ जा रही हूँ । तीन बजे तक आ जाऊँगी । खाना बनाकर रखा है, तू खा लेना ।”

शालिनी की बात सुनकर काव्या आँखें मसलती हुई बैड पर उठकर बैठ गई और शालिनी से पूछने लगी, “आज फिर से अंकल ने कोई फ्री मेडीकल कैम्प रखा है क्या ?”

शालिनी ने अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए कहा, “हाँ । इसके लिए उन्हें मदद की जरूरत है । उन्होंने मुझसे पूछा तो मैंने साथ चलने के लिए हाँ कर दी । इसी बहाने सोशल सर्विस भी हो जाएगी और मेरा घर से बाहर निकलना भी हो जाएगा ।”

पंलग से नीचे उतरते हुए काव्या थोड़े तीखे अंदाज में बोली, “अंकल हर महीने किसी स्लम एरिया में कैम्प करते है और हर बार ही तो आप उनके साथ उनकी मदद करने के लिए जाती हो । इसमें कौन सी नई बात है ?”

शालिनी को काव्या के बोलने का अंदाज पसंद नहीं आया । उससे चुप नहीं रहा गया और वो बोल उठी, “जब से तू ऑफिस से आई है तब से तेरे तेवर बदले हुए से है । ऑफिस में बॉस के साथ कुछ कहासुनी हो गई हो तो ऑफिस की बात ऑफिस में रहने दे । उल्टा सीधा बोलकर मेरा दिमाग भी खराब मत कर ।”

शालिनी की बात सुनकर काव्या मन ही मन बोली, “बात तो घर की ही है मम्मी । आप जिस रास्ते पर चल रही है उससे अपने मन को कैसे समझाऊँ ?”

काव्या को चुप खड़ा देखकर शालिनी फिर से बोली, “अब खड़ी क्या है । जाकर जल्दी से नहा धो ले । खाना ठंडा हो जाएगा तो फिर तू पेट भर कर खाएगी नहीं ।”
बाथरूम की ओर जाते हुए काव्या ने जवाब देकर पूछा, “जाती हूँ । आपने खा लिया ?”

“आज एकादशी है । मैं शाम को ही खाऊँगी । मैं दूसरी चाबी लेकर जा रही हूँ । तुझे कहीं जाना हो तो दिक्कत नहीं होगी ।” शालिनी ने जवाब दिया और बैड रूम से बाहर आ गई ।

नहाधोकर खाना खा लेने के बाद काव्या पैर लम्बे कर सोफे पर बैठ गई । उसने दीवार पर लगी घड़ी पर नजर डाली । दोपहर के ढ़ाई बज चुके थे । उसके मन में अब फिर से मनीष अंकल और मम्मी को लेकर तरह तरह के विचार आने लगे । कुछ देर खाली बैठे रहने के बाद उसने अनय को “हाई” लिखकर व्हाट्सएप मैसेज भेजा । अनय ऑनलाइन ही था उसने व्हाट्सएप पर जवाब देने की जगह काव्या का नम्बर डॉयल कर दिया । काव्या ने एक रिंग बजते ही उसकी कॉल पिक कर ली ।

उसके कान में अनय की मदहोश आवाज सुनाई दी , “हाई जानू ! कैसी हो ?”

अनय की आवाज सुनकर काव्या के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । वो बोली, “तुम सुनाओ । तुम्हारे क्या हाल है ?”

अनय ने बड़ी ही बेताबी से जवाब दिया, “तुम्हारे बिना बेहाल है ।”

इस पर काव्या मुस्कुरा उठी और बोली, “इस शनिवार और रविवार बेहाल ही बने रहो । मैं घर से बाहर नहीं निकलने वाली ।”

काव्या की बात सुनकर अनय परेशान हो गया और उससे पूछने लगा, “क्यों ? सब ठीक तो है न ?”

अनय के पूछने पर काव्या थोड़ी सी गंभीर हो गई । उसने पहले अनय को कल घर आने के बाद की घटना बतानी चाही लेकिन फिर उसे ये सब उससे अभी कहना ठीक नहीं लगा ।

काव्या को चुप पाकर अनय ने फिर से पूछा, “क्या हुआ काव्या ?”

काव्या को समझ नहीं आ रहा था कि उससे क्या बात करे । इस वक्त उसके मन में रह रहकर मनीष अंकल और मम्मी के ही विचार उठ रहे थे । अपनी मम्मी के बारें में वो एक ऐसा सच जान चुकी थी जिसके बारें में वो खुद अपनी मम्मी से भी बात नहीं कर पा रही थी और न ही किसी और से इस बारें में बात कर पा रही थी । ये ही बात उसे बार बार हैरान परेशान कर रही थी । थोड़ी देर चुप रहने के बाद उसने अनय को कहा, “कुछ खास नहीं अनय । तुम्हारे बारें में मम्मी से बात की है ।”

काव्या की बात सुनकर अनय ने खुश होकर जानना चाहा, “तो क्या कहा उन्होंने ?”

अनय की आवाज में समायी हुई खुशी को महसूस करते हुए काव्या ने आगे कहा, “कुछ नहीं कहा । तुमसे दूर रहने को कहा है ।”

अब अनय चिढ़ गया और गुस्से से बोला, “लड़कियों की मम्मी होनी ही नहीं चाहिए । प्यार वाली फीलिंग्स को समझती ही नहीं ।”

अनय को गुस्सा होते देख काव्या हल्के अंदाज में बोली, “तुम जो बोल रहे हो उसका मतलब समझते हो ? मम्मी के बिना किसी भी बच्चे का जन्म होना इम्पोसिबल है ।”

अनय का मूड खराब हो चुका था । वो काव्या के मुँह से कुछ अच्छा सुनना चाहता था । उसने काव्या की बात का कोई जवाब नहीं दिया ।

अनय से कोई जवाब न पाकर काव्या ने पूछा, “बहुत गुस्सा आ रहा है ?”

इस बार अनय ने जवाब दिया, “अरे यार ! गुस्सा तो आएगा ही । जिन्दगी तुम्हारी है फिर भी अपने फैसले के लिए तुम तुम्हारी मम्मी पर अटकी हुई हो ।”

काव्या ने अनय को समझाने की कोशिश की, “अनय, ऐसी बात नहीं है । मम्मी मुझे लेकर इतनी चिंता क्यों करती है, ये मैं कल ही जान पाई । उनकी जिन्दगी के साथ मेरे पापा ने धोखा किया है, इसलिए वो मेरे बारें में बहुत ज्यादा सोचकर ही कोई भी निर्णय लेती है ।”

काव्या की बात सुनकर अनय का गुस्सा कम होने की जगह और बढ़ गया । वो ऊँची आवाज में बोला, “तो बैठी रहो अपनी मम्मी की गोद में ।”

काव्या ने अब भी उसे बड़े प्यार से समझाने की कोशिश की, “ऐसा मत बोलो अनय । मुझे तुम भी उतने ही प्यारे हो जितनी मेरी मम्मी मुझे प्यारी है I अच्छा, छोड़ो ये बात ....फिर वो वॉचमेन ने कुछ पूछा था तुमसे मेरे बारें में ?”

अनय का गुस्सा कम नहीं हुआ लेकिन काव्या के बात बदलने पर वो अब वॉचमेन के बारें में बुरा भला कहने लगा, “वो बुड्ढा एक नम्बर का चुगलीखोर है । साले ने सुबह अपनी ड्यूटी पूरी होने पर घर जाने से पहले सेक्रेटरी को सबकुछ बता दिया ।”

काव्या ने इस बार अनय का बिगड़ा हुआमूड देखकर उसके वॉचमेन को बुड्ढा कहने पर टोका नहीं और आगे की बात जानने के लिए उससे पूछा, “तो फिर मिले सेक्रेटरी से ?”

अनय काव्या को सारी बात खुलकर बताने लगा, “हाँ, अभी थोड़ी देर पहले ही मिलकर आ रहा हूँ । साला, कुछ जाने बिना ही मुझे कह रहा था कि मैं रात को अपने फ़्लैट पर रोज लड़की लेकर आता हूँ । मैंने भी उसे इस बात को साबित करने को कह दिया । उस वॉचमेन ने नमक मिर्ची लगाकर उसके कान भरे और वो उसकी बातों में आ गया । बड़ी मुश्किल से उसे समझा पाया और बताया कि तुम मेरी कलीग हो और कल रात ऑफिस के कुछ महत्वपूर्ण पेपर्स देने के लिए तुम्हें साथ लेकर आया था ।”

अनय की बात सुनकर काव्या हँसने लगी और बोली, “रात को ऑफिस के महत्वपूर्ण पेपर्स लेने के लिए कौन सी लड़की मेल कलीग के घर उसके साथ जाएगी ? तुमने कहा और उस बेवकूफ ने मान लिया ?”

काव्या की बात सुनकर अनय भी हँसने लगा और हँसते हुए बोला, “माना तो नहीं था लेकिन फिर एक और तीर हवा में चलाया और वो तीर निशाने पर लग गया ।”
“तो क्या कहा तुमने उसे ?” काव्या ये जानने के बेताब थी ।

अनय का गुस्सा अब पूरी तरह से गायब हो चुका था । उसने उसे जवाब दिया, “मैंने बहुत ही गंभीर होकर उससे कहा कि तुम्हें वो पेपर्स लेकर सुबह पाँच बजे की फ्लाईट से पुणे ऑफिस जाना था । इसलिए ही तुम मेरे साथ ऑफिस से सीधे मेरे फ़्लैट पर आई थी । उसके बाद उसने तुम्हारे विजिटर्स रजिस्टर में एंट्री न करने की बात उठाई तो मैंने वॉचमेनको फँसा दिया । कह दिया कि वॉचमेन सो रहा था ।”

अनय की बात सुनकर काव्या उसके साथ फोन पर काफी देर तक हँसती रही और फिर उठकर उससे बातें करते हुए बैड रूम में आ गई ।

बैड पर लेटकर उसने अनय से कहा, “अनय, मुझे तुम्हें कहने में शर्म तो आ रही है पर एक बात को लेकर मैं बहुत परेशान हूँ ।”

काव्या की बात सुनकर अनय ने उसकी परेशानी जानना चाही तो काव्या ने उससे कहा, “पहले वादा करो कि ये बात तुम किसी से भी नहीं कहोगे ?”

अनय ने वादा करते हुए कहा, “नहीं कहूँगा । बताओ बात क्या है ?”

तभी बाहर के दरवाजे पर थोड़ी सी आहट हुई लेकिन अनय के साथ बातों में लगी हुई काव्या ने उस आवाज पर ध्यान नहीं किया । शालिनी ताला खोलकर अन्दर आ चुकी थी ।

अनय का वादा पाकर काव्या ने बोलना शुरू किया, “कल रात मैं सीढ़ियाँ चढ़कर सातवी मंजिल पर आ रही थी । तब मैंने छठवीं मंजिल पर रहने वाले मनीष अंकल को नीचे उतरते हुए देखा । उनके कपड़ों से अजीब ही तरह के परफ्यूम की खुशबू आ रही थी । जब मैं ताला खोलकर अन्दर बैड रूम में गई तो वहाँ फर्श पर कंडोम का एक खाली रैपर पड़ा हुआ था और बैड रूम में भी उसी तरह की खुशबू आ रही थी जो मनीष अंकल के कपड़ों से आ रही थी ।”

काव्या जो कह रही थी उसे सुनकर अनय चौंक गया । उसने इस बात की गंभीरता समझते हुए उससे पूछा, “यू मीन...तुम्हारी मम्मी और मनीष अंकल के बीच शारीरिक सम्बन्ध है ?”

काव्या ने उदास और परेशान होकर धीरे से जवाब दिया, “मुझे लगता है... नहीं तो कंडोम मेरे और मम्मी के बैड रूम में कैसे आएगा ?”

अनय से फिर से काव्या से पूछा, “आर यू श्योर ? वो कंडोम का ही रैपर था ?”

अनय के पूछने पर काव्या झुँझला गई और बोली, “मैं बेवकूफ नहीं हूँ अनय. उस रैपर पर कंडोम शब्द प्रिंट किया हुआ था । और फिर वो परफ्यूम की महक भी तो आ रही थी ।”

काव्या की बात सुनकर अनय थोड़ी देर चुप रहा और फिर कहने लगा, “मैंने कहा था ना कि एक आग सभी के शरीर में होती है और किसी न किसी तरीके से इसे हर कोई अनुभव करता है ।”

अनय की बात सुनकर काव्या चिढ़ गई और थोड़ी ऊँची आवाज में बोली, “पर अनय ये गलत है ।”

अनय अब काव्या को समझाने की कोशिश करने लगा, “कुछ भी गलत नहीं है काव्या । अपनी मम्मी की भावनाओं को समझने का प्रयास करो ।”

अनय की बात सुनकर काव्या ने कुछ नहीं कहा । इस पर अनय ने आगे अपनी बात रखते हुए पूछा, “तुम्हें ये बात पता है ये तुम्हारी मम्मी को पता है ?”

काव्या ने तुरन्त जवाब दिया, “इस बारें में उनसे बात करने की हिम्मत ही नहीं हो रही है ।”

काव्या का जवाब सुनकर अनय ने उसे समझाया , “फिर इस बात को अपने तक ही रखो । गलती से भी तुम्हारी मम्मी को ये पता नहीं चलना चाहिए कि तुम उनके बारें में ये सब जानती हो ।” ।

तभी बैड रूम के दरवाजे पर थोड़ी सी आवाज होने पर काव्या अनय से बात करती हुई खड़ी होकर दरवाजे तक आई । शालिनी दरवाजे के पास खड़ी काव्या और अनय की बातें सुन रही थी । शालिनी उससे नजरें नहीं मिला पाई ।

“अनय, मैं तुम्हें बाद में कॉल करूँगी ।” काव्या ने अनय से कहा और कॉल कट कर दी ।

शेष भाग अगले हफ्ते

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दादी की परी
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