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मन की आंख से - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मन की आंख से

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खुली आंख से
क्या
मैं तो बंद आंख से भी
देख लेती हूं
पढ़नी हो जब जब
किसी के मन की किताब
मैं उसे अपनी मन की आंख से
पढ़ लेती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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