कविताअतुकांत कविता
न कोई
दर्पण
न किसी का
अर्पण चाहिए
अब मुझे
मुंह से निकली
किसी की कोई भी बात
आज तक मैंने सच होते नहीं
देखी
किये हुए वायदों पर किसी को
खरा नहीं पाया
दिल के रास्तों को कभी
सीधा और सच्चा नहीं पाया
मेरे को अब कच्ची पगडंडियों पर ही
चलने की आदत पड़ चुकी है
कच्चे घर में रहने की भी
न पक्की सड़क
न ही पक्का घर अब
चाहिए मुझको।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001