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उम्मीद से सजे ज़िन्दगी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

उम्मीद से सजे ज़िन्दगी

  • 321
  • 4 Min Read

उम्मीद से सजे जिंदगी

जीवन की दौड़ मे
बढ़ने की होड़ में
आ जाए अँधा मोड़
पत्थर को तोड़ के
राह तू मोड़ ले
मंजिल को ढूंढ ले
उषा की लाली सी
सूरज की किरणों सी मुस्काए
जिंदगी,,,
हाल बेहाल हो
बाजार बंद हो
सब पर प्रतिबंध हो
दिल में महाकाल हो
रोटी व दाल हो
मीठी मनवार हो
हंसी की फुहार से
बातों ही बातों में कट जाए
जिंदगी
क्रूरता की घात हो
काली करतूतों से
मानव हताश हो
मन में विश्वास हो
अपनी पहचान हो
आन और शान हो
चाँद सितारों से
मोती की लड़ियों से भर जाए
जिंदगी
आतंक का साया हो
सूनामी छाया हो
हर दिल भरमाया हो
हाथ में हाथ हो
अपनों का साथ हो
डर की ना बात हो
सपनो की डोर दे
आशा की डोर से बंध जाए
जिंदगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी
जिंदगी
सरला मेहता

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Meeta Joshi

Meeta Joshi 3 years ago

बहुत खूब..यकीनन आगे बढ़ना ही ज़िन्दगी है

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

आगे बढ़ना ही ज़िन्दगी है.

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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