कविताअतुकांत कविता
उम्मीद से सजे जिंदगी
जीवन की दौड़ मे
बढ़ने की होड़ में
आ जाए अँधा मोड़
पत्थर को तोड़ के
राह तू मोड़ ले
मंजिल को ढूंढ ले
उषा की लाली सी
सूरज की किरणों सी मुस्काए
जिंदगी,,,
हाल बेहाल हो
बाजार बंद हो
सब पर प्रतिबंध हो
दिल में महाकाल हो
रोटी व दाल हो
मीठी मनवार हो
हंसी की फुहार से
बातों ही बातों में कट जाए
जिंदगी
क्रूरता की घात हो
काली करतूतों से
मानव हताश हो
मन में विश्वास हो
अपनी पहचान हो
आन और शान हो
चाँद सितारों से
मोती की लड़ियों से भर जाए
जिंदगी
आतंक का साया हो
सूनामी छाया हो
हर दिल भरमाया हो
हाथ में हाथ हो
अपनों का साथ हो
डर की ना बात हो
सपनो की डोर दे
आशा की डोर से बंध जाए
जिंदगी
उम्मीद से सजे ये छोटी सी
जिंदगी
सरला मेहता