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एक इडियट के डायरी नोट्स - सु मन (Sahitya Arpan)

लेखअन्य

एक इडियट के डायरी नोट्स

  • 151
  • 21 Min Read

तुम्हें पता हैं. ...मैं जब यादों की अटैची खोलती हूँ तो ...सबसे पहले तुम्हारे साथ बिताया वक्त आगे आता है... जानते हैं क्यों...?

क्योंकि तुम महज एक शख़्स भर नहीं हो, एक याद नहीं हो.. ... तुम मेरा हिस्सा हो... मेरी सुनहरी यादों का जो जंगल हैं ...वो तुमसे ही आबाद हैं।

जंगल इसलिए क्योंकि ...अक्सर लोग जंगल में अकेले जाने से डरते हैं .... पर मैं वहाँ बेखौफ रहती हूँ ... तुम्हारें साथ ,,तुम्हारी यादों के साथ।


सच कहूँ तो इतना याद नहीं मुझे कि हम आखिरी बार कब मिलें थे। बसस् इतना याद हैं कि वो वक्त सबसे कीमती वक्त था मेरे लिए।

मैंने उस पल में न जाने कितनी सदियां जी ली थी उस दिन तुम्हारे साथ... ये सिर्फ और सिर्फ़ मैं जानती हूँ। इस वक्त मैं "हम " नहीं कह रही क्योंकि..... हम में दो लोग होते हैं हमेशा.... और तुम और मैं तो हमेशा एक ही थे... ये महज कहने भर को नहीं था सच था... सच हैं ... और हमेशा सच रहेगा।

और सच ये भी कि जो ये " एक " थे वो इडियट थे एक दूसरे के लिए। तुम्हारें लिए मैं इडियट और मेरे लिए तुम इडियट। और दोनों मिलकर बन गए एक इडियट....


इडियट तुम्हें बहुत अच्छा लगता था ना चोरी चोरी मेरी डायरी पढ़ना... मेरी पागलपंती की बातें जो मैं किसी से नहीं कह पाती ... वह सब लिख लेती थी उस डायरी में। और वो डायरी खजाना थी तुम्हारे लिए।

अपना मिलना कैसे हुआ...? कब हुआ...?
बातें का सिलसिला कैसे आगे बढा़..... ये सब बताना जरुरी नहीं.... सिर्फ इतना कह सकती हूँ कि जो तय था वही हुआ...


प्रेमी जब मिलते हैं तो अपनी प्रेमिका के हाथों पर अपनी उंगलियों से चांद बनाते हैं..... उनके चेहरे पर आई वो उलझी सी कुछ जुल्फों को कान के पीछे करते हैं और... ढेरों वादे करते हैं साथ जीने मरने के....न जाने कितने ख्वाब देखते हैं.... जो कब टूट जाए उनको पता भी नहीं होता।

अपना रिश्ता इन सबसे बहुत परे था... जो
शायद ही किसी को समझ आया हो... समझ ना ही आए तो ही बेहतर हैं.. कभी प्यार से बात ना हुई अपनी... हमेशा झगडा़ रहता था पर... कभी रुठने की नौबत नहीं आई।

वक्त के उस पार देखती हूँ तो आज भी तुम मेरे लिए वैसे ही हो जैसै पहली मुलाकात पर थे.... एक झल्ला सा इंसान

और मैं ... मैं तो कभी बदल ही नहीं सकती.. बेबाक.. मुहँफट.... झगड़ालू और बेफिक्र सी लड़की जिसे दुनिया की कोई परवाह ही नहीं थी... ना बीते कल में... ना ही आज और ना ही आने वाले कल में।

जिंदगी में कुछ रिश्तें और इंसान कभी ना बदलें तो कितना अच्छा लगता हैं ना... अपना भी यही हाल हैं .. वक्त के साथ बदलना सीखा ही नहीं कभी।


अपना रिश्ता प्रेमी प्रेमिका वाला नहीं हैं.... हो ही नहीं सकता कभी भी। अपने रिश्ते का कोई नाम नहीं... यह सब से परे हैं समाज के दायरे से परे.. नियम - कानून से परे....उलझनों से परे और सवाल जवाबों से परे।
और कुछ रिश्तों का कोई नाम नहीं होता वह उम्र भर साथ रहते हैं।


और मैं तो इन रस्मों-रिवाजों, नियम कानूनों से बहुत दूर हूँ ये तुमने ही तो बताया था मुझे... मैं हमेशा झगडा़ करती थी ना कभी तुमसे तो कभी किसी से.... और तुम बस चुपचाप देखते रहतें ,, मुस्कुराते रहते... कुछ कह पाना तुमने जरुरी नही समझा कभी। बस इसीलिए मैं तुम्हें इडियट कहती और तुम मुझे इडियट कहते।


मेरी डायरी के पन्नों आज भी उस इडियट को लिखते हैं... जो शहर भर में बेफिक्र घुमता हैं मेरा हाथ पकड़ कर.... जिसे मेरे स्कूटर के पीछे बैठने से आज भी डर लगता हैं.... जो मेरी ड्राइविंग सिक्ल से अब भी खौफ खाता हैं। जो मेरी खामोशी में पढ़ लेता हैं मेरा दर्द .... जब घर पहुंचाने पर देर हो जाए तो वो कहता हैं कि, " तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा पर मुझे डांट पडे़गी।"
और यह सुनकर मैं खूब हंसती हूँ कि वह कितना डरता हैं।

उस इडियट के साथ कितने सपने देखें थे, जो सच भी हुए ....चाहे फिर वह किसी लड़की को सीटी बजाकर छेड़ना हो या फिर किसी लड़के से बिना बात झगड़ा करना हो वो सिर्फ तुम्हारे लिए।

कभी मंदिर में साथ पूजा करने गये तो ...कभी किसी चुपचाप रेलवे स्टेशन पर बैठकर आती जाती ट्रैनों को देखा...



और इन सब यादों मैं जब भी लिखने बैठती हूँ तो मैं खुद को ऐसे टेढे़ मेढे़ रास्ते पर पाती हूँ जो कभी ख़त्म नही होगा... मैं नही चाहती कि वो रास्ता कभी ख़त्म हो .....

मुझे सफर में रहना हैं ... तुम्हारी यादों के साए में.. तुम्हारें पहली बार मिलने से लेकर आखरी मुलाकात के एहसास को हमेशा संजोकर रखना चाहती हूँ एक इडियट के जैसे.....


मेरे साथ ये डायरी की अपने जैसी हो रही हैं..... जिसने समझदारी का ककहरा तक नहीं पढा़ और बेवकूफियों में पीएचडी कर रखी हैं.... मैं अक्सर इससे कहती हूँ कि मेरी डायरी के नोट्स तुम हमेशा इडियट ही रहोगे।

क्योंकि जब एक इडियट दूसरे इडियट से मिलता हैं तो उनके किस्से नही लिखे जाते उनके नोट्स बनाए जाते हैं हल्के फुल्के से..... जो वक्त बेवक्त,, बिना वजह मुस्कुराने की वजह बन जाते हैं।




सु मन



#एकइडियटकेडायरीनोट्स


29/5/2021

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

क्या कहने अद्भुत 👌🏻

समीक्षा
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