कहानीअन्य
छोटु चाय वाला
शर्मा जी इंदौर से भोपाल जा रहे थे ,रास्ते में बस रुकी तो शर्मा जी को लगा की नास्ते के लिए अच्छी जगह है, वो वही रुक कर चाय पी रहे थे ,उन ने देखा कि एक १० साल का बच्चा सब को नास्ता दे रहा है हर कोई उस को छोटु छोटु बोल कर बुला रहे थे ,वो भी मजे से सब के काम कर रहा था ,पर अब बारी आई शर्मा जी कि पहले तो उस ने टेबल साफ कि उस के बाद चाय देकर बोला गुड़मॉर्निग तब सुबह के १० बजे थे शर्मा जी हैरान रह गये ,वहा बहुत से लोग उसे जानते थे , शर्मा जी को भी छोटु अच्छा लगा प्यारा सा बच्चा था ,वो ,जब ग़िलास लेने आया तो शर्मा जी ने उस से पुछा की क्या वो स्कूल जाता है ,तो उसने कहा की वो पहले जाता था ,पर जब से मेरे पापा बीमारी से ,चल बसे उस के बाद माँ भी नई रही अब में यही रहता हूँ यही काम करता हूँ यही सो जाता हूँ ,में कब से ही यहाँ रह रहा हूँ जब भी किसी बच्चो को देकता हूँ तो लगता है की कोई बच्चा अपने माँ बाप से अलग ना हो ,मेरा कोई नई है, में बहुत अकेला हूँ ,में देखता हूँ की रोज ही लोग आते है ,चलेजाते है में तो बस यही रह जाता हूँ ,रोज ही सब को चाय पिलाता हूँ सब चाय पी कर चले जाते है, शर्मा जी के बस का टाईम हो गया उन को भी जाना था ,वो छोटु से बोले की अब चलता हूँ दोस्त हम जल्दी ही मिलते है ना जाने आज शर्मा जी को ये सफर लम्बा लग रहा था, उन को लग रहा था की कब भोपाल आय ओर वो छोटु के लिए कुछ करे ,भोपाल पहुँच कर वो सब से पहले अपने दोस्त से मिले ,उनको छोटु के बारे में बताया उनने सारी बात सुनी उस के बाद बोले ,कि उनकी एक ानाथआश्रम में पहचान है वो वहा छोटु को रखने का इंतजाम करते है ,अब शर्मा जी वापस छोटु के पास गए उस को सब बतया की वो उस के लिए क्या करना चाहते है ,छोटु खुश था ,पर उसने कहा की मेरे मलिक से पूछना है अब वही मुझे देखते है ,शर्मा जी ने जब छोटु के मालिक से बात की तो ,वो कुछ आना कानी के बाद मान गए अब छोटु नई जिन्दगी की नई उड़ान के लिए तैयार था, आज शर्मा जी को छोटु के उदास चहरे को एक नई सुबह दी थी,