कविताअतुकांत कविता
अपने दिल को
उठाने की मैं
बार बार कोशिश
करती हूं लेकिन
चारों तरफ
जिन लोगों से मैं
घिरी हूं वह
बार बार मुझे पीछे की तरफ
खींचते हैं
मेरे दिल में कोई
ख्वाब सजने ही नहीं
देते
उसे बार बार
बड़ी ही बेरहमी से
तोड़ते हैं
इस दुनिया में
अधिकतर लोग हैं ही
नकारात्मक जो
सकारात्मक सोच और
सकारात्मक सोच के व्यक्ति के
व्यक्तित्व को
पनपने ही नहीं देते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001