Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मैं तन्हा हूं - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मैं तन्हा हूं

  • 370
  • 3 Min Read

मैं तन्हा हूं
पर खुश हूं
सजा लेती हूं
खुद को और
घर को भी
महका लेती हूं
फूलों से
और प्यार की
खुशबू से
खोल लेती हूं
घर की खिड़की
हवा को अंदर आने
देती है
इसे देख नहीं सकती
पर इसके स्पर्श से
रोमांचित होती हूं
घर के बाहर खड़े
फूल पत्तों से लदे
एक पेड़ को देख लेती हूं
इसे अपना समझ लेती हूं
मैं अपने
चारों तरफ फैली
फिजा की हर चीज को
अपना समझती हूं
इस अपनाहट के
खुशबू भरे
महकते अहसास के
कारण ही
मैं तन्हा हूं
पर बिना तन्हाई के
खुशी खुशी
जी लेती हूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

FB_IMG_1621397866593_1621401811.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg