कविताअतुकांत कविता
मन का दर्पण
आज
धुंधला दिखा तो
पत्ते पर पड़ी
ओस की बूंद के
दर्पण में ही
देख ली
अपनी छवि
जीने के लिए बस
एक जरिया चाहिए
बहने के लिए बस
एक दरिया चाहिए
रुकनी नहीं चाहिए
कभी यह
मन की रफ्तार
रास्ते मिलें तो
इससे जुड़ी मंजिल
रास्ते न मिलें तो
आसमान में उड़ने के लिए
पंख परिन्दे से चाहिए।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001