कविताअतुकांत कविता
मैं
एक तितली
अंजानी सी
बाग के
फूलों के रंगों से
अपने ही रंगों की तरह
न जानी पहचानी सी
रंग देखती
अब मैं
आकाश के बादलों में
आकाश पर
न जाने अब
क्यों दिखे मुझे
बेरंग
प्रेम में हारे हुए
किसी परवाने सा
चारों तरफ से
मात खाये
एक दीवाने सा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001