कविताअतुकांत कविता
मैं जी रही हूं
तेरी यादों को
सीने से लगाकर
बिना रुके
लगातार
चल रही हूं
जिंदा रहते तुम्हारे
प्यार पाया है
तुम्हारा
इतना कि
उसी प्यार के भंडार से
अपनी भावनाओं का
पालन पोषण अब
कर रही हूं
इतना प्यार मिला मुझे
उसके लिए मैं आभारी हूं
जीवन कट जायेगा अब
मेरा उन्हीं प्यार भरी
यादों के सहारे
सक्षम हूं इतनी कि
किसी का सहारा
किसी की हमदर्दी
किसी के द्वारा प्रदत
बैसाखी को
न मैं एक दान के कटोरे की तरह
पकड़ने को राजी हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001