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समय - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

समय

  • 227
  • 4 Min Read

*समय*

*समय समय की बात है यारों
कभी घी घना तो कभी मुट्ठी भर चना
समय से पहले व किस्मत से ज़्यादा
ना किसी को मिला,ना ही मिलेगा।
*यह नचाता इंसान को कठपुतली सा
महल के राजा को रंक बना देता
एक रोड़पति, करोड़पति बन जाता।
सीता वनवासी व सुदामा राजा
*समय को कस कर थामे रहो
रमी के खेल में सही पत्ता चुनते रहो
करने से ही कुछ हांसिल होता है
कोशिश करने वालों को हार नहीं देता
*समय, मौसम उम्र हिसाब से आता है
इसका गणितीय सूत्र बड़ा क्लिष्ट है
इसका हल कोई खोज नहीं पाया है
बस इसके हाथों का लट्टू बन पाया है
*समय है कम व लम्बी है मंजिल
ए मुसाफ़िर, तेज़ कदम चलता चल
तपस्या के पथ पर,विराम नहीं देना
साथ चलनेवालों का भी साथी बन जाना
सरला मेहता
सरला मेहता
इंदौर

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत अच्छी रचना. समय की महत्ता दर्शाती हुयी

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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