कवितालयबद्ध कविता
#जिन्दगी से जंग
जाऊँ कहाँ जिन्दगी
तुझे छोड़ के मैं।
तेरे बिना मै कुछ नहीं
मेरे बिना तु भी कुछ नहीं।
हर सुख -दुख मे मैने
तुझे साथ पाया।
हर कोई जीने की आंंस में
न जाने कितने हौंसले बाँधे हैं।
उन हौंसलों मे तु खड़ी रही
बस इतना-सा साथ तेरा माँगा मैंने।
जाऊँ कहाँ जिन्दगी
तुझे छोड़ के में।
हर साँस का नाम है जिन्दगी
बिना साँसों के जिन्दगी तेरा बजूद कैसा?
तु बनी हमसे
और हमें ही मिटाने चली।
कैसा तेरा दस्तूर
कैसा तेरा इंसाफ....
फिर भी मलाल नहीं
तुझसे कोई
तेरे हर फैसले को मैंने
बड़े सिद्दत से स्वीकारा।
अगर मैं हारी
तो तु भी हारी...
क्योंकि मेरी पहचान
से ही तु बनी है
बिना मेरे तेरी पहचान कहाँ।
@champa यादव
25/08/20