Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
कच्चे रास्ते - (भाग २) साप्ताहिक धारावाहिक - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

कहानीसामाजिकउपन्यास

कच्चे रास्ते - (भाग २) साप्ताहिक धारावाहिक

  • 447
  • 61 Min Read

कच्चे रास्ते (भाग - २)
अन्दर आकर दरवाजे के सामने वाली दीवार के पास रखे हुए सोफे पर काव्या बैठ गई । उसके पास आकर अनय भी सोफे पर अपने दोनों पैर लम्बे कर आराम से बैठ गया ।
पन्द्रह बाय पन्द्रह के हॉल में एक बड़े साइज के सोफे के अलावा गैलरी के दरवाजे के पास दो कुर्सियाँ रखी हुई थी । सोफे के सामने की दीवार पर एक बेहद ही खूबसूरत शोकेस के बीच खाली रही जगह में चालीस इंच का टीवी लगा हुआ था और उसके ऊपर की तरफ अनय की मुस्कुराती हुई एक रोमान्टिक तस्वीर टँगी हुई थी ।

तभी काव्या ने अनय को टोका, “ओ इडियट ! पैरों से मोज़े तो निकालो । बदबू आ रही है और तुम हो कि आराम से सोफे पर पैर रखकर बैठ गए हो ।”

“अपनी तो लाइफ ही ऐसी है । रोज का यही शेड्यूल है अपना । सोफे पर लेटे लेटे जो नींद आती है उसके मजे ही कुछ और है ।“ काव्या को जवाब देते हुए अनय आगे की तरफ झुककर पैरों पहन रखे मोज़े निकालने लगा ।

“हाँ तो अब बताओं क्या तकलीफ है और किस बात का डर लग रहा है?’ मोजे निकालकर उसे सोफे के नीचे सरकाते हुए अनय ने काव्या की आँखों में देखा ।

काव्या बोली, “अनय, तुम्हारी जिन्दगी का ज्यादातर समय अमेरिका में बीता है तो तुम इन सब बातों को बड़ी ही आसानी से ले सकते लेकिन मेरे लिए ये सब इतना आसान नहीं है ।”

“काव्या, जिन्दगी को बहुत ज्यादा गभीरता से मत लो । जब जोसमय हाथ आता है उसे जी लेना चाहिए । पिछले डेढ़ साल में हमारे मन की दूरियां तो मिट ही चुकी...फिर भी तुम ...” काव्या का जवाब सुनकर अनय कुछ कहते हुए चुप हो गया ।

“फिर से बुरा मान गए ? मुझे डर इस बात का है कि तुम्हारा मन शादी के लिए तो अब भी तैयार नहीं है । बिना शादी के कब तक रह पाएगा हमारा यह सम्बन्ध ?” काव्या ने अनय का हाथ अपने हाथ में ले लिया ।

‘काव्या, शादी का नाम सुनकर ही मुझे अजीब सी घबराहट होने लगती है । सात साल का था जब समझ में आया कि मेरे मम्मी और डैडी अपनी शादी से खुश नहीं है । मेरा जन्म होना तो मात्र उनकी शादी के बाद की एक दुर्घटना ही थी । मम्मी डैडी के झगड़ों में न कभी मम्मी से मन से जुड़ पाया और न ही पापा से, क्योंकि कभी दोनों को समझ ही नहीं पाया । मैं शादी कर तुम्हारी और अपनी जिन्दगी को खराब नहीं करना चाहता ।“ अपनी जिन्दगी की पिछली बातों को याद करते हुए अनय भावनाओं में बहने लगा ।

अनय को सांत्वना देते हुए काव्या बोली, “अनय, तुम्हारी कहानी मेरी कहानी से कोई ज्यादा अलग नहीं है । फर्क सिर्फ इतना ही है कि तुमने अपने मम्मी पापा की शादी को टूटते हुए सहा और देखा है और मैंने अपनी मम्मी को अकेले संघर्ष करते हुए देखा है । पापा कैसे होते है इसका तो अहसास भी नहीं है मुझे तो मैं भी तुम्हारी तरह ही एक टूटे हुए परिवार का हिस्सा ही हूँ । हम तो एक दूसरें से प्यार करते है फिर हमारे बीच बिखराव का डर कैसा ?”

“शादी करना जरूरी है ?” अनय का स्वर गंभीर हो गया ।

काव्या अनय को समझाते हुए बोली, “ये कैसा सवाल है अनय ? सबकी जिन्दगी एक सी नहीं होती । तुम्हारे मम्मी डैडी के बीच नहीं बनी तो इसका मतलब यह थोड़े ही है कि शादी जैसे बँधन पर विश्वास ही न किया जाये ? कभी न कभी तो हमें शादी करनी ही होगी ।”

“काव्या, तुम खुले विचारों की हो इसी से तुम्हारी तरफ आकर्षित हुआ था । तुम्हारी तरफ का मेरा यह आकर्षण कब प्यार में बदल गया मैं खुद नहीं जानता । मैं प्यार व्यार के चक्कर में भी नहीं पड़ना चाहता था लेकिन प्यार पर किसी का काबू भी तो नहीं होता । मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ पर अभी मैं शादी जैसा कोई गंभीर निर्णय नहीं ले सकता । अब मर्जी तुम्हारी है, तुम मेरा साथ देकर मेरे साथ चलना पसन्द करती हो या नहीं । तुम्हें यकीन दिलाता हूँ कि हमारे प्यार को शादी जैसे कांट्रेक्ट की जरूरत नहीं पड़ेगी । जिंदगी भर मैं तुम्हारा साथ शादी किए बिना निभाऊँगा ।” काव्या की बात का जवाब देते हुए अनय ने उसके हाथ को कसकर पकड़ लिया ।

अनय की बात सुनकर काव्या कुछ देर तक चुपचाप उसे देखती रही । अनय की आँखों में उसे समर्पण नजर आ रहा था ।

“शादी अगर एक दूसरें के लिए विश्वास और मजबूत हो जाने की वजह है तो मैं इस वजह को नहीं मानता । इस बात में अगर थोड़ी सी भी सच्चाई होती तो शादी के बाद भी दंपतियो के बीच झगड़े और कहीं कहीं शादी के बाहर के संबन्धों का अस्तित्व नहीं होता ।” कहते हुए अनय काव्या के और करीब आ गया ।

तभी काव्या अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बोली, “अनय, तुम्हारे बिना मैं नहीं जी सकती लेकिन तुम्हारे इस तरह के लिव इन वाले विचार से डर भी लगता है ।”
‘कॉफ़ी पियोगी ?’ अचानक से ही अनय ने काव्या से पूछा और अपनी जगह से खड़ा हो गया ।

‘तुम बैठो । मैं बना लाती हूँ ।’ काव्या कहते हुए खड़ी हो गई ।

“तुम क्यों एक दिन के लिए परेशानी उठा रही हो । अपनी तो जिंदगी ही ऐसी है । रोज की यही दिनचर्या है । ऑफिस से आकर एक कप गर्मागम कॉफ़ी पीकर अपनी तन्हाइयों के संग अकेले सो जाना ।” काव्या के कहने पर अनय ने कहा और रसोई में चला गया ।

अनय के साथ काव्या भी रसोई में आकर उसके पास खड़ी होकर उसे टोकने लगी, “अच्छी तरह जानती हूँ तुम्हें । आज तुम अकेले नहीं हो जो अपनी मर्जी के हिसाब से अपनी मनमानी करो ।”

“मर्जी तो मेरे मन की ही चलेगी ।” कहते हुए अनय अपना चेहरा काव्या के चेहरे के नजदीक ले आया लेकिन काव्या उसे हल्का सा धक्का देकर दो कदम पीछे हट गई । वैसे तो पिछले एक साल में काव्या दिन के समय कई बार अनय के फ़्लैट पर उसके संग आ चुकी थी पर आज पहली बार उसकी जिद पर रात के वक्त पहली बार इस तरह ऑफिस से सीधे उसके साथ उसके फ़्लैट पर आई थी ।

अनय ने गैस चालूकर तपेली में पानी गर्म होने के लिए रख दिया और फ्रेश होने के लिए बैडरूम से लगे हुए बाथरूम में चला गया । वह जब तक बाहर आया काव्या ने कॉफ़ी बना ली थी और ट्रे में दो कप लेकर वह वापस सोफे पर जाकर बैठ गई थी ।

अनय काव्या के पास जाकर बैठ गया । दोनों चुपचाप गर्मागर्म कॉफ़ी का मजा ले रहे थे । कॉफ़ी पीते हुए अनय की नजरें बार-बार काव्या के टॉप पर प्रिंट स्लोगन पर जाकर ठहर रही थी । उसके गुलाबी टॉप पर काले रंग से अंग्रेजी के कैपिटल लैटर्स में प्रिंट किया हुआ था - “SWEETHEART. I CAN’T THINK MY LIFE WITHOUT YOU.”
तभी काव्या अनय को देखकर मुस्कुराई तो आर्मी की सेना की तरह एक लाइन में जमे मोती की तरह चमकते हुए दाँत उसके चेहरे की सुन्दरता को और बढ़ाने लगे ।

दो दिन पहले अनय और काव्या ने आपस में बात कर रोमांटिक फैंटेसी को अनुभव करने के लिए आपसी सहमति से एक निर्णय लिया था । इसलिए ही आज एक रोमांटिक विचार के साथ अनय काव्या को अपने साथ अपने फ़्लैट पर लेकर आया था लेकिन फिर काव्या का मन बदलने पर वह बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू रख पा रहा था ।

एक दूसरें को चुपचाप देखते हुए हुए दोनों ने कॉफ़ी का आखरी घूँट भी पी लिया । तभी अनय की नजर अपनी कलाई घड़ी पर गई ।

“रात का एक बज रहा है । चलों तुम्हें घर छोड़ देता हूँ ।” खाली कप टेबल पर रखते हुए अनय ने बड़ी मुश्किल से शब्दों को अपने होंठों से बाहर निकाला ।

जवाब में काव्या ने एक बार फिर से अनय को देखकर मुस्कुरा दी । इस बार काव्या की मुस्कुराहट का अनय पर ऐसा असर हुआ कि उसने एक झटके के साथ अपना उल्टा हाथ काव्या के सिर के पीछे ले जाकर उसके बँधे हुए बालों को खोलकर अपनी मुठ्ठी में भर लिया । फिर उसने उसके चेहरे को अपने चेहरे के एकदम करीब खींच लिया । अनय की इस हरकत से काव्या की साँसें तेज हो गई और उसने अपनी आँखें बंद कर ली ।

काव्या धीरे से बोली, “आई लव यू अनय !”

काव्या की गर्म सांसें अनय के चेहरे को छूती हुई उसके होंठों पर हरकत कर रही थी । अनय पूरी तरह से काव्या को पाने के लिए उतावला हो रहा था । काव्या की हालत भी अनय की तरह ही हो रही थी । काव्या अनय के और पास आ गई और उससे लिपट गई । काव्या की मौन सहमति पाकर अनय ने अपने कंपकंपाते होंठ काव्या के गुलाबी होंठों पर रख दिए । काफी देर तक यूं ही दोनों एक दूसरें की बाँहों में समाये रहे और फिर धीरे धीरे अनय के हाथ काव्या की पीठ पर हरकत करने लगे । लेकिन तभी काव्या ने अपने आपको अनय की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश की तो अनय ने उसे और कसकर अपनी बांहों में भर लिया । अचानक ही वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और काव्या की तरफ झुककर उसे हीरो की अदा से अपनी बाहों में उठा लिया ।

काव्या ने अपने हाथ उसकी गर्दन के आजूबाजू डालकर उसकी आँखों में झाँकते हुए धीरे से बुदबुदायी, “अनय ! आई लव यू ।”

“आई लव यू टू ।” जवाब में अनय मुस्कुराया और उसके कदम काव्या को लेकर बैडरूम की ओर बढ़ चले ।

बिस्तर पर अनय के संग लेटे हुए काव्या का मन सातवें आसमान में उड़ रहा था लेकिन वह कुछ सोच भी रही थी । अनय के संग इस तरह एक ही बिस्तर पर सोना उसे थोड़ा अजीब लग रहा था । अनय की बाहें काव्या को जकड़े हुए थी और काव्या उसकी उठती हुई गर्म साँसों को अनुभव कर रोमांचित भी हो रही थी तभी अचानक से काव्या अपने दोनों हाथों से जोर लगाकर अनय को अपने से दूर हटाने की कोशिश की ।

काव्या की इस हरकत पर अनय उससे दूर होकर बिस्तर पर बैठ गया और उससे पूछा, “क्या हुआ ?”

“यह गलत है । मम्मी मुझ पर बहुत ज्यादा विश्वास करती है । बिना शादी किए यह सब करना अच्छा नहीं है ।”अनय की बात का जवाब देते हुए काव्या उठकर जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी ।

“कुछ भी गलत नहीं है काव्या.” झुँझलाते हुए अनय ने काव्या को समझाने की कोशिश की ।

“नहीं, अनय । मम्मी एक विश्वास के साथ मुझे रात की शिफ्ट की नौकरी करने देती है । चोरी छिपे यह सब करना ठीक नहीं है । उनको जब कभी भी इस बात का पता लगेगा तो सहन नहीं कर पाएगी ।” अनय की बात का जवाब देकर काव्या कपड़े पहनकर बैड से नीचे उतर गई ।

“तो तुम अपनी मम्मी से कब बात करोगी ? अब अकेले नहीं रहा जाता ।” काव्या का जवाब सुन अनय भी बोलते हुए अपने कपड़े पहनने लगा ।

“कल मौका देखकर बात करुँगी । लेकिन तुम भी एक बार फिर से शादी वाली बात पर सोचो ।” काव्या बोली ।

“फिर तो हमें यहाँ से आगे बढ़ना ही नहीं चाहिए । मैं तुम्हें पहले भी हजार बार कह चुका हूँ कि शादी का नाम सुनकर ही मुझे घुटन होने लगती है ।” अनय ने जवाब दिया ।

अनय का जवाब सुनकर काव्या चिढ़ गई और गुस्से से बोली, “तुम अच्छी तरह से जानते हो कि मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकती फिर भी बार-बार एक ही बात कहकर तुम मुझे भावनात्मक रूप से ब्लेकमेल करने की कोशिश कर रहे हो ।”

“गुस्सा मत हो काव्या । तुम्हारे बिना मैं भी तो नहीं रह सकता ।”अनय ने कहा और काव्या के नजदीक आकर खड़ा हो गया ।

“मुझे घर छोड़ दो अभी ।” काव्या अभी भी गुस्से में थी ।

“इस वक्त ?” हैरान होते हुए अनय ने दीवार पर लगी घड़ी पर नजर डाली और आगे कहा, “अभी तो ढ़ाई बज रहे है । इस वक्त तुम्हार घर जाना ठीक होगा ?”

अनय की बात सुन काव्या ने परेशान होते हुए कहा, “तुम्हारे घर आधी रात को आ सकती हूँ तो क्या अपने घर आधी रात के बाद नहीं जा सकती ?”

अनय ने अपना सिर खुजलाते हुए काव्या को देखा, “वो तो तुमने तुम्हारी मम्मी को सुबह चार बजे के बाद आने को कहा था इसलिए पूछ रहा था ।”

“इडियट हो तुम । रत्तीभर भी अक्ल नहीं है ।” अनय की बात सुन काव्या मुस्कुरा दी और उसके गाल पर एक चपत लगाकर बाथरूम में चली गई ।

काव्या का अचानक से बदला हुआ मूड देखकर अनय हमतुम फिल्म का गाना गुनगुनाने लगा, “लड़की क्यों न जाने क्यों लड़को सी नहीं होती ।”

काव्या लगभग दस मिनिट के बाद बाथरूम से बाहर आई तो अनय उसे देखकर मुस्कुराया और फिर खुद अन्दर बाथरूम में चला गया ।

अनय जब बाथरूम से बाहर आया तो काव्या पूरी तरह से तैयार होकर सोफे पर बैठी हुई थी । अनय ने काव्या पर एक नजर डाली और टेबल पर पड़ी बाइक की चाबी हाथ में लेकर बोला, “एक बार फिर से सोच लो ? यहाँ से केवल दस मिनिट में तुम अपने घर पहुँच जाओगी ।”

“अनय, पता है मुझे ।” काव्या ने अजीब सा मुँह बनाते हुए अनय को जवाब दिया और खड़ी हो गई ।

“ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा ।” अनय ने कहा और फिर से हमतुम फिल्म का वही गाना गुनगुनाने लगा, “लड़की क्यों न जाने क्यों लड़को सी नहीं होती ।”

अनय को गुनगुनाते देख काव्या हँस दी और बाहर निकलते हुए गाने की आगे की लाइन गाने लगी, “ऐ ! इतना ही खुद से खुश हो तो पीछे क्यों आते हो ?”

जवाब में अनय भी हँस दिया और उसके पीछे फ़्लैट से बाहर निकल गया । फ़्लैट को बाहर से लॉक कर वह लिफ्ट की तरफ बढ़ा लेकिन तभी अचानक से लाईट चली गई ।

“ये लाइट्स को भी अभी ही जाना था ।” अनय गुस्से से ऊँची आवाज में बोला ।

“इसमें गुस्सा होने की क्या बात है अनय ।” काव्या ने उसकी पीठ पर हाथ रख उसे शान्ति से काम लेने को कहा ।

“पावर बैकअप नहीं है । लिफ्ट लाईट आने तक नहीं चलेगी । अब चलो, गिनो सीढ़ियाँ ।” अनय ने परेशान होते हुए सीढ़ियों की तरफ चलते हुए काव्या से कहा ।

अनय के कहने के अंदाज पर काव्या मुस्कुरा दी और उसके साथ सीढ़ियाँ उतरने लगी । तभी अनय ने मोबाइल की फ्लेश लाईट चालू कर दी ।

“अच्छा अनय । एक बात बताओ । इस बिल्डिंग में बहुत सारे फ्लैट्स खाली पड़े है तो तुम्हें अकेले रहते हुए डर नहीं लगता ?” अनय के साथ सीढ़ियाँ उतरते हुए काव्या ने अनय को चिढ़ाने के लिए पूछा ।

“लड़की समझ रखा है क्या ?” अनय ने झुँझलाकर कहा ।

अनय को चिढ़ते हुए देख काव्या उसे और ज्यादा चिढ़ाने लगी, “तुम लड़की होते तो तुम्हारे साथ थोड़े ही होती इस वक्त ।”

अनय काव्या की बात सुनकर बोला , “जिस लड़के के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताना चाहती हो उसके साथ सोने में दिक्कत तुम्हें होती है तो आगे क्या साथ दोगी तुम मेरा ।”
अनय का जवाब सुनकर काव्या को बुरा लग गया । उसने अनय को जवाब देते हुए कहा, “अनय, तुम बात को गलत तरीके से ले रहे हो । भारतीय संस्कृति में ऐसी बातें खुलकर नहीं की जाती है ।”

“इसलिए तो सेक्स से जुड़े अपराध ज्यादा होते है भारत में । ये तो कुदरती भावना है और सभी में होती है । अगर नहीं होती तो मेरा और तुम्हारा जन्म हुआ ही नहीं होता । मेरे पैरेंट्स ने भी जिंदगी के इस अनूठे अनुभव को जिया है और और तुम्हारे पैरेंट्स भी इस आग में जले है ।” सीढ़ियाँ उतरते हुए अनय अब तक पार्किंग में आ गया ।

अनय की बात सुनकर काव्या थोड़ी देर के लिए चुप हो गई फिर अनय को सलाह देते हुए बोली, “तुम्हारी बहुत सी बातें मेरी समझ में नहीं आती अनय । तुम बहुत ज्यादा ही खुले विचारों वाले हो । भारत में रहना है तो तुम्हें थोड़ा बदलना होगा ।”

“मैं ऐसा ही हूँ । नहीं बदल सकता ।’ हँसते हुए अनय ने बाइक स्टार्ट कर दी और काव्या बेक सीट पर बैठ गई ।

शेष अगले हफ्ते ...

Untitled-Design_1621647690.jpg
user-image
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG