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कच्चे रास्ते - भाग १ (साप्ताहिक धारावाहिक) - Ashish Dalal (Sahitya Arpan)

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कच्चे रास्ते - भाग १ (साप्ताहिक धारावाहिक)

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कच्चे रास्ते (भाग १ )

शुक्रवार की अपनी रात की ड्यूटी पूरी होने के बाद अपने-अपने रूट की कैब का इन्तजार कर आपस में गपशप कर रहे युवा कर्मचारी ATS Business Solution Pvt. Ltd. की बिल्डिंग के बाहर कैंपस में खड़े हुए थे । तभी ऑफिस के सेकेण्ड फ्लोर की सीढ़ियों से फटाफट उतरकर हाँफते हुए काव्या बाहर आई । गुलाबी टॉप और काले रंग का जींस पहने हुए काव्या के कंधे तक लम्बे खुले बालों की कुछ जुल्फें बार-बार उसके चेहरे पर आ रही थी । उसने परेशान होते हुए अपने पर्स से एक हेर क्लीप निकाली और बालों को पीछे लेते हुए कसकर पोनी टेल बाँध ली । इससे उसका गोल भरावदार चेहरा आसमान में रोशनी बिखेर रहे चांद की तरह दमकता हुआ और ज्यादा सुन्दर दिखाई देने लगा । उसने नीचे कैंपस में आकर इधर उधर अपनी नजरें दौड़ाई । इस समय उसकी नजरें अनय को ढूँढ़ रही थी लेकिन ऊपर ऑफिस के दोनों फ्लोर टटोलने के बाद भी अनय इस वक्त उसे कहीं दिखाई नहीं दे रहा था । अचानक उसकी नजर गेट के पास अपने मोबाइल में खोई हुई सी खड़ी रूबी पर पड़ी और वो उसकी तरफ दौड़ी चली गई ।

“रूबी, तूने अनय को देखा क्या ?” रूबी के पास आकर उसने हड़बड़ी में पूछा ।

रूबी ने एक पल काव्या को घूरा और अपना मोबाइल पर्स में रखते हुए वो मुस्कुराकर काव्या से बोली, “हाँ ।”

रूबी का जवाब सुनकर काव्या की आँखों में चमक आ गई । उसने उससे आगे पूछा, “कहाँ है वो इडियट ?”

काव्या का उतावलापन देखकर रूबी हँस दी और उसे जवाब देते हुए बोली, “मुझे क्या पता ।”

काव्या रूबी जवाब सुनकर और ज्यादा परेशान होते हुए उससे पूछने लगी, “तो फिर तूने हाँ क्यों कहा ?”

“क्योंकि तूने मुझे अनय को देखने के बारें में पूछा था । उस कमबख्त को रोज देखती हूँ पर भाव ही नहीं देता ।” काव्या के सवाल का जवाब देते हुए रूबी उसका गुस्से से लाल होता हुआ चेहरा देखकर अब जोर से हँस दी ।

काव्या रूबी का जवाब सुनकर चिढ़ गई और पैर पटकते हुए वहाँ से जाने को पीछे मुड़ते हुए बोली, “तुझसे तो बात करना ही बेकार है । हर वक्त मजाक ही सूझता है ।”
तभी रूबी ने कुछ ऊँची आवाज में काव्या से कहा, “सुन ! मेंस वॉशरूम की तरफ जाते देखा था उसे कुछ देर पहले ।”

काव्या ने सीढ़ियों की तरफ जाते हुए अब रूबी को देखा और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कुराहट छा गई । लेकिन कुछ कदम चलकर कुछ सोचकर वो कैम्पस की दीवार के पास लगी खाली पड़ी बैंच पर बैठ गई और अपने पर्स से मोबाइल निकालकर अनय का नम्बर डॉयल करने लगी ।

रात के बारह बजे चारों ओर शान्ति के बावजूद ATS Business Solution Pvt. Ltd. के कैंपस के चारों ओर लगी लाइट्स की वजह से रात भी दिन के उजाले का अहसास करा रही थी । कैंपस के एक ओर दस मंजिल की आलिशान बिल्डींग थी तो दूसरी तरफ शहर की मुख्य सड़क बनी हुई थी । दस मंजिल की इस बिल्डींग के पहले दो फ्लोर पर ATS Business Solution Pvt. Ltd. का ऑफिस था और बाकि के फ्लोर पर कई और छोटे बड़े ऑफिस थे जिनमें से अधिकतर केवल दिन के वक्त ही खुले रहते थे । शहर का यह एरिया अभी नया-नया विकसित हो रहा था और मुख्य शहर से लगभग पाँच किलोमीटर दूर था । इस एरिया में ATS एक ऐसी बी. पी. ओ. कम्पनी थी जो हफ्ते के पाँच दिन चौबीस घण्टे चालू रहती और सप्ताह के अंत में शनिवार और रविवार बंद रहती थी ।

काव्या ने मोबाइल की एक रिंगटोन पूरी हो जाने पर झल्लाकर फिर से वही नम्बर डॉयल किया । अबकी बार एक रिंग बजते ही जैसे ही अनय ने फोन उठाया तो वो उस पर बरस पड़ी, “कहाँ हो यार अनय तुम ? मुझे देरी हो रही है ।”

“थोड़ा सा सब्र करो डार्लिंग । तुम्हारा यह अनय अभी वॉशरूम में फ्रेश हो रहा है ।” अनय ने टायलेट के कमोट पर बैठे हुए मुस्कुराकर जवाब दिया ।

जिसे सुनकर काव्या ने झुँझलाते हुए अनय को जल्दी से बाहर आने को कहा, “ओफ्हो ! जरूरत से ज्यादा खाना और फिर निकाल देना । बस ! यही काम रह गया है तुम्हारे पास । जल्दी करो । बारह तो यहीं बज गए है । तुम्हारे फ्लैट पर जाते जाते आधा घंटा और लग जाएगा । घर पर मम्मी को आज चार बजे तक वापस आने का कहकर आई हूँ ।”

“बस ! दो मिनिट ।” अनय ने कहा और फ्लश चालू कर दिया । फिर खड़े होकर जींस ऊपर कमर तक चढ़ा लिया ।

काव्या ने बाहर बेंच पर बैठे हुए अनय का पाँच मिनिट और इन्तजार किया और फिर उठकर मेंस वॉशरूम की तरफ चल दी ।

हाथ मुँह धोकर वह जैसे ही वॉशरूम से बाहर आया तो कोरिडोर में काव्या को खड़ी देखकर वह गुनगुनाता हुआ उसके पास चला गया । डार्क ब्लू जींस और लाल कलर की टी शर्ट पहने अनय के क्लीन शेव्ड चेहरे पर कोरिडोर की हल्के रंग की रोशनी पड़ने पर उसका गोरा चेहरा और भी ज्यादा चमक रहा था ।

अनय ने पास आकर काव्या को टोका, “पगली ! इस तरह मेंस वॉशरूम के बाहर किसी लड़की का खड़ा होना अच्छे संस्कार होने की निशानी नहीं है ।”

काव्या अनय की पीठ पर एक धौल जमाते बोली, “जानती हूँ तुम कितने संस्कारी हो । अब अपनी ये संस्कारी बातें यहीं रखो और चलो । सवा बारह हो गए है ।”

“अच्छा ! बड़ी जल्दी है ?” कहते हुए अनय के चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कुराहट आ गई ।

“चार बजे वापस घर भी पहुँचना है । वक्त से न पहुँची तो मम्मी हजार सवाल करेंगी । वैसे भी तुम्हारे बारें में जानने के बाद अब वे हर वक्त मुझे शक की नजरों से ही देखती है ।” कहते हुए काव्या अनय का हाथ थामकर उसके चलने लगी ।

अनय ने काव्या के साथ बाहर निकलते हुए कहा, “सॉरी यार । आज डिनर में चिकन बिरयानी कुछ ज्यादा ही पेट में डाल दी थी ।”

अनय का जवाब पाकर काव्या ने बनावटी गुस्सा जताया, “जब हजम नहीं होता तो खाते क्यों हो इतना ?”

“खाऊँगा नहीं तो तुम्हारे लिए जिऊँगा कैसे ? तुम्हें पता है, कुछ लोग जीने के लिए खाते है और कुछ लोग खाने के लिए जीते है । मैं अनय डिसूजा दोनों तरह के लोगों में से एक अलग ही पीस हूँ ।” काव्या की बात का जवाब देते हुए अनय उसके कंधे पर हाथ रखकर चल रहा था ।

काव्या ने अनय का हाथ झटकते हुए बाहर खड़े अपने कलिग्स नजर डाली और बोली, “इडियट ! सब हमें देख रहे है । ये प्यार की नौटंकी बंद करो अभी ।”

कुछ देर पहले कैंपस में हो रही चहलपहल बहुत से कर्मचारियों के चले जाने की वजह से कुछ कम हो गई थी । अनय और काव्या बिल्डींग की कम्पाउंड वॉल की साइड से पार्किंग की तरफ आगे बढ़ने लगे ।

“वे हमें देख नहीं रहे है । जल रहे है सब मेरी किस्मत पर । तुम्हारे जैसी जन्नत की परी किस्मत वालो को ही मिलती है न ।” काव्या के साथ चलते हुए अनय ने फिर से काव्या के कंधे पर अपना हाथ रख दिया ।

काव्या अपनी तारीफ सुन मुस्कुरा दी, “ तुम गलत हो । किस्मत वालों को नहीं, किस्मत वाले को । मेरी जिंदगी में अनय डिसूजा के अलावा किसी और को आने की इजाजत है ही नहीं ।”

“तुम मुस्कुराती हुई अच्छी लगती हो पर जब गुलाबी टॉप और काला जींस पहनकर मुस्कुराती हो तो कहर बरसाने लगती हो ।” पार्किंग की तरफ आगे बढ़ते हुए थोड़ी सी रोशनी कम होने पर अनय काव्या के और करीब होकर चलने लगा ।

“मुझे मक्खन लगाना बंद करो और चुपचाप जल्दी से चलो ।”

“अच्छा । चलो । देर ना हो जाए कहीं... देर ना हो जाए...” गुनगुनाते हुए अनय ने अचानक से काव्या के गाल को चूम लिया तो उसके बदन में एक कंपकपी फैल गई ।
तभी काव्या ने अनय को हल्का सा धक्का देकर अपने से दूर कर दिया और उससे दो कदम की दूरी बनाकर आगे आगे चलने लगी ।

“सॉरी काव्या ।” काव्या से माफी माँगते हुए अनय तेज कदमों से उसके साथ चलने लगा ।

“अब जल्दी से बाइक निकालो और घर चलो ।” काव्या ने अब हँसकर अनय के गाल पर एक चपत लगा दी ।

अनय ने कुछ दूर आगे जाकर पार्किंग से अपनी बाइक निकाली और उसके साथ ही काव्या बाइक की पीछे की सीट पर बैठ गई । कैंपस से बाहर निकलकर मुख्य सड़क पर आते ही काव्या अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अनय के कन्धों को मजबूती से पकड़ लिया और उसकी पीठ पर अपना सिर टिकाकर आँखें बंद कर ली ।

अनय ने अपनी गर्दन हल्के से पीछे की तरफ झुकाकर काव्या से धीमे स्वर में कहा, “ए पगली ! इतना नजदीक मत आ । कुछ कुछ होने लगता है ।”

“कुछ मत कहो अनय । बस ! चुपचाप मुझे सपनों की दुनिया में उड़ने दो ।” काव्या ने हल्के से अनय की गर्दन को अपने होंठों से चूम लिया ।

अनय मदहोश होते हुए बुदबुदाया, “काव्या !! लव यू !”

“अनय !” काव्या ने धीमे से एक गहरी साँस छोड़ी ।

“अनय ! अब तुम्हें जल्दी ही कोई फैसला ले लेना होगा ।” काव्या की आँखें अभी भी बंद थी ।

“फैसला तो तुम्हें लेना है । मैं तो आज अभी भी तैयार ही हूँ ।” अनय ने थोड़ा सा पीछे की ओर झुकते हुए काव्या के गालों को अपने होंठों से चूमना चाहा ।
इस पर काव्या बोली, “यह सब इतना जल्दी नहीं हो सकता ।”

“कम ऑन बेबी ! क्यों नहीं हो सकता ? फैसला तो तुम्हें करना ही होगा । तुम्हारी मम्मी को पता चलने पर बात कितनी बिगड़ गई है यह तो तुम जानती ही हो । पुराने लोग हम यंग जनरेशन को समझ ही नहीं पाते या समझने की कोशिश ही नहीं करते है ।” काव्या का जवाब पाकर अनय बैचेन हो गया ।

“नहीं अनय । तुम्हारे आगे पीछे कोई है नहीं तो तुम्हारे लिए यह फैसला लेना आसान है पर मुझे लेकर मेरी मम्मी बहुत ही चिंता करती है । मम्मी जब तक तुम्हें मेरे लिए स्वीकार नहीं कर लेती तब तक मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पाऊँगी ।” काव्या ने जवाब देते हुए अनय का कन्धा जोर से दबाया ।

“तब तो ऐसे ही चलने तो जिन्दगी जब तक चलती है । फिर तुम अपने रास्ते मैं अपने रास्ते ।”

अनय को गुस्सा होते देख काव्या ने पीछे से अपनी दोनों बाहें फैला कर उसे अपने आगोश में समा लेने की कोशिश की, “बुरा मान गए ? मैं फिर से मम्मी को समझाने की कोशिश करुँगी ।”

तभी अनय ने एम जी सर्कल से बाइक बाँयी तरफ मोड़ ली और थोड़ा आगे जाकर दाँयी तरफ के कच्चे रास्ते से आगे बढ़ने लगा । यहाँ से करीबन ५०० मीटर दूर ही उसके फ्लैट तक स्ट्रीट लाईट की कोई सुविधा न होने से चारों और काफी अँधेरा छाया हुआ था । बाइक की हेड लाईट की रोशनी में अनय काफी धीमी गति से बाइक आगे ले जा रहा था ।
अनय की तरफ से कोई जवाब न पाकर काव्या ने उसे टोका, “अनय, चुप क्यों हो ? कुछ तो बोलो ।”

“अब क्या बोलूँ काव्या ! तुम खुद ही अपने संबंधों को लेकर को लेकर कान्फिडेन्ट नहीं हो तो तुम्हारी मम्मी को इस बात के लिए कैसे मना पाओगी ?” अनय ने जवाब दिया और सामने दिखाई दे रही फोर्च्यून रेसीडेन्सी के अन्दर अपनी बाइक ले ली ।

रेसीडेन्सी के गेट के अन्दर वॉचमेन की केबिन के बाहर कुर्सी पर बैठे बैठे खर्राटे ले रहे वॉचमेन पर उसने एक नजर डाली और मन ही मन मुस्कुरा दिया ।
“अच्छा है बुढ्ढा सो रहा है । जाग रहा होता तो तुम्हारी एंट्री करवाता और मुझसे दस सवाल करता ।”

अनय की बात सुनकर काव्या ने उसे टोका, “अनय, वॉचमेन अंकल उम्र में तुमसे बड़े है । ठीक से संबोधन करो उन्हें । उनका काम ही यही है ।”

“किस्मत वाला है । सोने के भी पैसे लेता है ।” कहते हुए अनय हँस दिया और सी टॉवर की तरफ बाइक मोड़ ली ।

बाइक पार्किग एरिया में लाकर अनय ने रोक दी । काव्या अपने बालों को सहलाते हुए उसके पास खड़ी हो गई ।

यह रेसीडेन्सी अभी नई ही बनी होने से यहाँ के दस बारह फ्लैट्स को छोड़कर अन्य सारे फ्लैट खाली पड़े हुए थे । सी टॉवर की चौथी मंजिल पर अनय के फ्लैट के अलावा अन्य सारे फ्लैट अभी खाली पड़े हुए थे ।

“तुम समझ रहे हो उतना आसान नहीं है यह । तुम अमेरिका के कल्चर में पले बढ़े हो तो तुम्हारे लिये ये सब आसानी से स्वीकार कर लेना बहुत आसान है पर मैं अपने आपको मार्डन कहलाने के बावजूद अन्दर ही अन्दर डरती हूँ ।” काव्या ने अनय की बात का जवाब दिया तब तक वह बाइक मेन स्टेण्ड पर खड़ी कर चुका था ।

अनय ने काव्या की बात सुनकर उसे घूरा, “मुझ पर विश्वास करती हो न ?”

“पगले ! विश्वास न होता तो आज आधी रात को तुम्हारे साथ अकेले यहाँ तक आती ?” काव्या ने जवाब दिया और अनय का हाथ पकड़कर लिफ्ट की ओर जाने लगी ।

अनय ने लिफ्ट के पास खड़े होकर बटन दबाया और दरवाजा खुलते ही अन्दर खड़े होकर चार नम्बर का बटन दबा दिया । कुछ ही देर में लिफ्ट का ऑटोमेटिक दरवाजा बंद हो गया और लिफ्ट ऊपर की तरफ जाने लगी ।

“काव्या, हम अपनी मर्जी से आपस में अपने संबंध को बढ़ा रहे है...”

अनय ने कुछ कहना चाह रहा था लेकिन उसे टोकते हुए काव्या बोली, “पर मुझे बदनामी से डर लगता है अनय ।”

“परवाह मत करों । बातें तो शादी कर लड़ने झगड़ने पर भी होती और अलग हो जाने पर भी होती है । जिन्दगी हमारी है तो फैसला हमारा होना चाहिए कि हम इसे कैसे जियें । तुम्हें मेरे प्यार पर अब भी थोड़ी सी भी शंका हो तो तुम अपने आपको हमारे इस संबंध में आगे बढ़ने से अभी भी रोक सकती हो । रिश्तों को बेवजह ढोने के लिए न तो तुम बँधी हो और न ही मैं ।” काव्या की बात का जवाब देते हुए अनय ने उसे देखा ।

“तुम भी न अनय ! पागल की तरह बात करते हो । तुम्हारा हाथ तुम्हें छोड़ने के लिए नहीं थामा ।“ काव्या ने कहते हुए अनय का हाथ जोर से पकड़ लिया । अनय उसे देखकर मुस्कुरा दिया ।

तभी एक झटके के साथ लिफ्ट चौथी मंजिल पर आकर रूक गई । लिफ्ट का दरवाजा खोलकर अनय काव्या को बाहर निकलने के लिए एक तरफ हट गया । काव्या के पीछे अनय भी लिफ्ट से बाहर आ गया और दरवाजा बंद कर पीछे मुड़कर फ्लेट नम्बर सी ४०३ की तरफ बढ़ गया ।

फ्लैट का दरवाजा खोलकर अनय अन्दर चला गया लेकिन काव्या कुछ सोचते हुए वहीं दरवाजे पर ही खड़ी रह गई । अनय ने दरवाजे के पास ही रखी रेक में अपने जूते निकालकर रखे और फिर काव्या की तरफ देखा ।

अनय ने दो कदम पीछे हटकर काव्या के पास जाकर पूछा, “बाहर क्यों खड़ी हो काव्या ? किस बात की परेशानी है ?”

“तुम्हारे कहने पर तुम्हारे साथ यहाँ तक आ तो गई पर इतनी रात को तुम्हारे साथ ...”

काव्या की बात बीच में काटते हुए अनय बोला, “तुम लड़कियों की यही तकलीफ है । मैं कोई भेड़िया थोड़े ही जो तुम्हें खा जाऊँगा ?”

“ऐसी बात नहीं है अनय । दिन के वक्त तुम्हारे साथ यहाँ आना ठीक है पर इतनी रात को तुम्हारे साथ यहाँ आना… मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा । प्लीज ! तुम मुझे घर वापस छोड़ आओ ।” कहते हुए काव्या ने अनय का हाथ पकड़ लिया ।

“चलो अन्दर चलकर बात करते है ।” इतना बोल अनय उसके हाथ को खींचते हुए अन्दर आ गया । काव्या इस बार उसे मना नहीं कर पाई और उसके पीछे एक विश्वास के साथ अन्दर आ गई ।

शेष अगले हफ्ते...

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दादी की परी
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