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फूल सदा मुस्काता है। - Rashmi Sharma (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

फूल सदा मुस्काता है।

  • 197
  • 6 Min Read

ओ पथिक सुनो! जरा ठहरो ,
कुछ क्षण बैठो पास मेरे
किंचित् जो कुछ मै कहती हूँ
उसपर हैं अधिकार तेरे

हम अपनी खुश्बू फैलाते
बच्चे, बूढ़े खुश हो जाते
भ्रमरों के हम सच्चे साथी
कर रस - पान सुयश गुण गाते
सबमें सरस मधुरता घोलूँ
अपनी प्रेम की भाषा है
कुछ पल का जीवन पाकर भी
फूल सदा मुस्काता है।

पल दो पल का जीवन मेरा
रौंदा जाना नियति है
टूट के भी मुस्काते चेहरे
हम फूलों की दिखती है
आज रहें कल भले ना होंगें
हम जीवन परिभाषा हैं
कुछ पल का जीवन पाकर भी
फूल सदा मुस्काता है।

जनम से लेकर मरण जीव का
हम साथी हर सुख - दुख के
कभी लला की शोभा बनते
कभी सजे तन विषधर के
सभी को नित संदेश मिले
हमसे ,अपनी यह आशा है
कुछ पल का जीवन पाकर भी
फूल सदा मुस्काता है।

यौवन के हम रूप अनुपम
वीरों पर न्यौछावर हैं
लघु से लघुतम जीवन मेरा
पर कारज के कायल है
जब मैं कर सकती कुछ इतना
तू जीवन क्यूं तव्यर्थ गँवाता है??
कुछ पल का जीवन पाकर भी
फूल सदा मुस्काता है।

सबमें इतना तेज भरूँ मैं
कि मरकर भी मै जी जाऊँ
सबके मुस्काते चेहरों में
मै भी जी भर मुस्काऊँ
जीवन तो अनमोल रतन है
फूल यही सिखलाता है
कुछ पल का जीवन पाकर भी
फूल सदा मुस्काता है।

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