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प्रार्थना - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

प्रार्थना

  • 247
  • 4 Min Read

*प्रार्थना*
हे परमपिता,हे करुणाकर
कातर सब बच्चे याद करें
नादानी बहुत हम कर बैठे
क्षमा करो, परित्राण करो
है विपति आन पड़ी भारी
घर घर में पहुँची महामारी
चलती साँसें थम जाती हैं
औषधि काम नहीं आती
तन्त्र मन्त्र सब हुए विफ़ल
तू ही कर सके हमें सफ़ल
हे राम चला अब ब्रह्मास्त्र
रावण का तू सफ़ाया कर
चक्र चलाओ हे नारायण
सृष्टि का अंत ना होने दो
हे पवनपुत्र आ जाओ ना
संजीवनी बूटी लाओ ना
ओ नागनथैया नन्दलाल
दुर्दान्त विषाणु हो हलाल
हे नीलकंठ विष पीकरके
अमृत हम पे बरसाओ ना
भाभा भास्कर बसु भाई
आकरके पुनः शोध करो
कुछ तरीका इज़ाद करो
नव पौध लहलहाना है
अस्तित्व को बचाना है
ये भारत स्वर्ग बन जाए
सोने की चिड़िया कहाए


सरला मेहता
इंदौर
स्वरचित

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर भाव 🙏

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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माँ
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