कविताहाइकु
मातृदिवस
हाइकु
माँ की ममता
कड़कती धूप में
शीतल छाया।
किलकारी से
बच्चे की खिल जाता
मां का हृदय।
मां क्या होती है?
सुखद अनुभूति
परिभाषा से परे।
न पड़ने दे
तकलीफ की तपिश
मां कहलाती।
शब्दों की सीमा
उपमाओं से परे
मां ही होती है।
मां बिन बच्चा
थपेड़े खाती नाव
बीच भंवर।
मां का दुलार
जन्नत का खजाना
बेशकीमती।
मातृत्व ऋण
चुकाना असम्मव
अनमोल है।ंं
मां का मातृत्व
शब्दों में उकेरना
नामुमकिन।
है समर्पित
सर्वस्व तुझ पर
प्यारी मेरी मां।
वारुं तुझ पे
दुनिया की दौलत
सौभाग्य मेरा।
मां की ममता
बरनी नहीं जाए
अवर्णनीय।
स्वरचित और मौलिक
गीता परिहार
अयोध्या