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दाग अच्छे है - Jagruti Tiwari (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

दाग अच्छे है

  • 133
  • 5 Min Read

#लघुकथा

शीर्षक-दाग अच्छे है

बाहरी सुन्दरता और साथ मिलने वाली सौगतें देखकर शादी तो कर ली पर कभी उसकी आंतरिक खूबसूरती को ना तो किसी ने देखा ना देखने की जरुरत महसूस की लेकिन नित नये तानों और आक्षेपों से उसे छलनी करने मे पीछे भी कोई ना रहा। आज वही रुपा जब आइने में अपना चेहरा देखती है तो अपनी अन्तरात्मा पर पड़े इन वीभत्स निशानों का दोष किसे दे समझ नही पाती। वो निशान जो दिखते तो किसी को भी नहीं पर इनके कारण उसके व्यक्तित्वा में आया बदलाव सब महसूस भी करते है और जताने से बाज़ भी नहीं आते कि-"क्या बताये हमारी तो किस्मत ही खराब है क्या सोचकर बहू लाये थे और क्या हुआ" पर क्यूँ हुआ ये शायद कोई सोचना-समझना जरुरी ही नहीं समझता।
पर वो कहते है ना "दाग अच्छे है" बस रुपा ने इसी को गांठ बाँध लिया और आज रुपा बहुत खुश है क्यूंकि इन्हीं वीभत्स निशानों ने उसे आज इस मुकाम पर ला खड़ा किया जहाँ उसकी संस्था ने घरेलू महिलाओं को ना केवल अपने अधिकारों से अवगत कराया बल्कि स्वरोजगार हेतु प्रेरित भी कर रही है

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

जगृति जी आप लिंक शेयर कर सकती हैं शेयर ऑप्शन के द्वारा

Jagruti Tiwari3 years ago

जी कोशिश करते है, मेरे लिए ये एकदम नया मंच है तो समझने में समय लग रहा है।

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब 👌🏻

Jagruti Tiwari3 years ago

धन्यवाद

दादी की परी
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