कविताअतुकांत कविता
सीता बनाम नारी की कहानी
इतिहास कहता है कहानी
सीता थी राजा की रानी
पावन हवन कुंड से प्रगटी
कहलाई वह जनक की बेटी
विवाह वेदी पर वरा राम को
वधु चली अब अवधपुरी को
राजतिलक का मोहरत आया
कैकई माँ ने वन को पठाया
राजदुलारी वन वन भटकी
करती सेवा अपने स्वामी की
ब्राह्मण वेशी रावण आया
सीता जी का मन भरमाया
पार करी जब लक्ष्मण रेखा
उठा सिया वह पहुंचा लंका
रावण वध कर जीते राम
कूच किया अयोध्या धाम
हर्षित हुए नगर व गाम
रानी सीता राजा राम
अग्नि परिक्षा दी सीता ने
फिर भी चर्चा थी लोगों में
गर्भवती सीता का त्याग
नारी का कैसा ये दुर्भाग्य
वन में माँ ने लव कुश जाए
पाला पोसा संस्कार सिखाए
लकड़ी काटी चक्की चलाई
रूखी सूखी रोटी भाजी खाई
जब जब शुभ अवसर आया
शुद्धता पर गहरा दाग लगाया
महारानी का ह्रदय भर आया
स्वाभिमान पृथ्वी में समाया
कैसी नारी की परिक्षा है ?
ये कैसा अद्भुत पतिधर्म है ?
बस कर्तव्य निभाते जाना है
प्रश्न हक़ का नहीं उठाना है
सरला मेहता