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सीता बेनां नारी - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

सीता बेनां नारी

  • 191
  • 5 Min Read

सीता बनाम नारी की कहानी

इतिहास कहता है कहानी
सीता थी राजा की रानी

पावन हवन कुंड से प्रगटी
कहलाई वह जनक की बेटी

विवाह वेदी पर वरा राम को
वधु चली अब अवधपुरी को

राजतिलक का मोहरत आया
कैकई माँ ने वन को पठाया

राजदुलारी वन वन भटकी
करती सेवा अपने स्वामी की

ब्राह्मण वेशी रावण आया
सीता जी का मन भरमाया

पार करी जब लक्ष्मण रेखा
उठा सिया वह पहुंचा लंका

रावण वध कर जीते राम
कूच किया अयोध्या धाम

हर्षित हुए नगर व गाम
रानी सीता राजा राम

अग्नि परिक्षा दी सीता ने
फिर भी चर्चा थी लोगों में

गर्भवती सीता का त्याग
नारी का कैसा ये दुर्भाग्य

वन में माँ ने लव कुश जाए
पाला पोसा संस्कार सिखाए

लकड़ी काटी चक्की चलाई
रूखी सूखी रोटी भाजी खाई

जब जब शुभ अवसर आया
शुद्धता पर गहरा दाग लगाया

महारानी का ह्रदय भर आया
स्वाभिमान पृथ्वी में समाया

कैसी नारी की परिक्षा है ?
ये कैसा अद्भुत पतिधर्म है ?

बस कर्तव्य निभाते जाना है
प्रश्न हक़ का नहीं उठाना है
सरला मेहता

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब आपकी प्रत्येक रचना मन को छू जाती है।

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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