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भ्रुणहत्या - Puja Gupta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

भ्रुणहत्या

  • 163
  • 2 Min Read

माॅं हुई जो मैं तेरी कन्या क्या कर‌ दोगी तुम मेरी हत्या,
कैसे तुम रह पाओगी कर के तुम मेरी हत्या।

पैदा होकर मैं कभी ना करूंगी तुमको अपमानित,
बन कर तुम मेरी जननी खुशियां पाओगी अनगिनत।

घर की लक्ष्मी बन कर मैं घर के लिए लक्ष्मी लाऊंगी,
माॅं तुम भी तो हो एक कन्या मत करो ना मेरी हत्या।

बाबा को तुम समझाओ ना मत करो ना भ्रुणहत्या,
भ्रुणहत्या है एक अभिशाप मत करो ना तुम यह पाप।

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

bahut hi marmik rachna

Puja Gupta3 years ago

Dhanyawad

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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