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एक अहसास कोवैक्सीन भरा - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

एक अहसास कोवैक्सीन भरा

  • 159
  • 6 Min Read

(आज हम कोवैक्सीन सी दूसरी डोज लेकर आये हैं. एक लंबे इंतजार के बाद मन की चौखट पर ठिठककर दस्तक देती हुई सी इस सुखद अनुभूति को छंदों में पिरोने का एक प्रयास आप सबके साथ साझा करना चाहता हूँ,
" एक अहसास कोवैक्सीन भरा " )

एक अहसास कोवैक्सीन भरा
जीवन की दो बूँदों संग
पहुँचा यूँ तन के अंग-अंग
लड़ने को, इस रक्तबीज से
लंबी सी एक जंग
मन की धरती को
करता सा
जीवंतता से हरा-भरा
एक अहसास कोवैक्सीन भरा

घोलता सा रक्त में
आरोग्य के कुछ अद्भुत रंग
साया सा बनकर आया सा
माया सा मन पर छाया सा
मन के पंछी के संग-संग
खोजता सा बेफिक्री का
एक खुला सा आसमान
देता सा, मन के बच्चे को
ममता की गोदी वसुंधरा
एक अहसास कोवैक्सीन भरा

यह तो है बस
तन की एक संजीवनी
मन की अद्भुत संजीवनी तो
मन के मंथन से ही मिलेगी
मन के उदधि से,
मंथन में,
इस क्षीरनिधि के,
बन नीलकंठ,
पी विष विषाद का
पीकर फकीर सा
अमृत का
आनंद-प्रसाद सा
मन की अंजलि में भरा-भरा
एक अहसास कोवैक्सीन भरा

परमानंद के एक
उच्च शिखर से
बूँद-बूँद्, पथ ढूँढ-ढूँढ
सहसा निर्झर सा झर-झर झरता
उन्मुक्त हास से पल-पल भरता
चेहरे को मन का दर्पण करता
निर्मल, निश्छल अपनापन भरता
करता सा मन के आँगन को
अमृत-वृष्टि, एक सुखसृष्टि,
अद्भुत दृष्टि से भरा-भरा
गुम होती सी इस धरती से
उस हरियाली सा हरा-हरा
एक अहसास कोवैक्सीन भरा

द्वारा: सुधीर अधीर

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