कविताछंद
कोरोना का प्रतिकार
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छंद - ०१
राम रमापति नाथ उमापति कष्ट हरो जन का त्रिपुरारी।
टूट रहा प्रभु आज मनोबल दूर करो भय हे! बनवारी।
कोविड क्रूर बना खर-दूषण वार करो अब हे! प्रतिकारी।
नाथ कृपालु दया कर दो जन प्राण बचें प्रभु कृष्ण मुरारी।।
छंद - ०२
नाथ मनोबल साथ रहे भय दूर करो प्रभु हे! भयहारी।
रो कर आज गुहार करे जन नाथ हरो दुविधा बनवारी।
काल खड़ा हर द्वार दयानिधि मांग रहा मनु प्राण भिखारी।
नाथ विलम्ब न आज करो भव त्रास हरो तुम कुञ्जविहारी।।
✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'